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७९०] अध्याय तेरहवां । Home" in London. For this, dear Maganbai, you should devote your splendid talents and in one or two years time we can have a big Jaina Home in London. But a beginning can be made witii cven one lac of Rupeess.-Allow me to assure you of way loyalty and service to you and the family. Consult my friends Br. Sital Porsi adji and Seth Hirachand Nemchand of Sholal" or this.
In mourning,
Yours Sincerely, J. L. Jaini Bar-at-Law.
श्रीमान सेठ नवलचद हीराचंद, आदि सुकुटुम्ब सेठ माणिकचंद
पानाचंद प्रति। . समस्त दिगम्बर जैन पंचान् बम्बईकी ओरसे विदित हो कि ला. ३:--७-१४ को हीराबागमें एक बृहत ममा हुई। उसमें जो प्रस्ताव स्वीकृत दुआ सो आपकी सेवामें प्रेषित किया जाता है ।
"स्वर्गवासी श्रीमान् दानवीर जैनकुलभूषण सेठ माणिकचंद हीराचन्द जे. पी. ने जो अपना अंतिम दान ढाई लक्ष रुपयेका किया है व जिपके लिये जुबली बागका मकान ट्रष्ट कर दिया है
और उसकी आमदको परीक्ष लय, उपदेश फंड, तीर्थरक्षा व विद्याथियोंको छात्रवृत्ति देनेके प्रशनीय कार्यों में खर्च करना निश्चय किया है उसके लिये बम्बईका समस्त दिगम्बर जैन समाज उक्त सेठजी व उनके सर्व कुटुम्बका अतिशय कृतज्ञ है और आशा करता है कि जिस भांति स्वर्गवासी सेठजीका लक्ष अपनी समाज व धमकी
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