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________________ ७७० ] अध्याय तेरहवां । 1 नहीं ? कितने लड़के लड़की पढ़ने योग्य हैं, फिर आप वहां पाठशाला क्यों नहीं स्थापित करते आदि बातें पूंछते और उन्हें सामाजिक और धार्मिक कार्योंके लिये उत्साहित करते थे ।........ सेठजी एक महात्मा थे । विद्यार्थियोंके लिये तो आप कल्पवृक्ष । थे । अंतमें सभापति सेठ हुकमचंद जी ने जोशदार भाषण में कहा कि हमारी दिगम्बर जैन कौम में सेठ माणिकचंदजीकी मृत्युसे हुई क्षतिको पूरा करनेको कोई पुरुष नहीं है । हमारी कौमको बड़ा आघात पहुंचा है और उससे हमको बहुत नुकसान हुआ है । सेठ साहबका स्मारक अवश्य स्थापित करना चाहिये । " फिर सभापति साहबने उनके कुटुंबियों पर सहानुभूतिसूत्रक पत्र भेजनेका व स्मारक स्थापनका प्रस्ताव पास कराया । और कहा कि सेठ साहबकी स्मृति में मैं नसियां इन्दौरकी धर्मशाला में ५००० ) की कोठरियां सेठ माणिकचंदजी के नाम में बनवाऊंगा व १००१) स्मृतिफंडमें यहां प्रदान करता हूं। इस गुरुमुखराय सुखानंद, २५१) गुरुमुखराय नाथारंगजी गांधी बम्बई, २०१) जौहरी अनूप चंद माणकचंद बम्बई, २०१) खेमचंद मोतीचंद, १०१) हीराचंद नेमचंद शोलापुर, १०९) देवचंद धनजी गुंजोटीवाले, १०१ ) की काभाई कसनदास झवेरी, १०१) सूरजमल लल्लूभाई, इस तरह ३८७२ ) का चंद्रा उस वक्त हुआ । समय ५०१ ) सेठ निहालचंद, २५१ ) लल्लूभाई प्रेमानंद ने आभार मान श्री महावीर स्वामीकी जय बोलकर सभा विसर्जन की । बम्बई स्मारक फंडके प्रबन्धके लिये नीचे लिखे ११ महाशयों For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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