________________
७५६ ]
अध्याय बारहवां ।
महाशयोंको बल प्राप्त हो । इस समय मुझे पूरा विश्वास है कि आप लोग इन तीनों कार्योंको पूरा कर देंगे। इसकी सूचना पानेकी मैं प्रतीक्षा करता रहूंगा |
ता. १९-१२-१३
आपने अपने सर्व स्टेटकी लिखा पढ़ी दो वर्ष पहले ही कर
रक्खी थी व करीब ढाई लाखकी मिलकियतका जुबली बाग ११००) मासिक किराये का धर्मार्थ दान कर पहले ही उसकी रजिष्टरी करा दी थी । मरणके पीछे इसका प्रकाशः हुआ और जिसने सुना उसने सेठजीकी इस उदारताका धन्यवाद दिया । सवे दानवीर ने अंतसमय तक दानसे अपनी जातिकी महती सेवा करके एक अपूर्व उदाहरण जगत्के अनुकरण के लिये स्थापित कर दिया |
२५०००० ) का
अंतिम दान |
आपका कृपाकांक्षी, माणिकचंद हीराचंद ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org