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________________ महती जातिसेवा तृतीय भाग । [७४९ हुकमचंद, कल्याणमल व कस्तूरचन्द तीनों भाईयोंने दस दस हज़ार याने ३००००) व २०००) फुटकल ऐसे ३२०००) का फन्ड हुआ । मोरेना विद्यालयको सेठ हुकमचन्दने १००००) व रोड़मल मेघराज सुसारीने १०००) कुल १३०००) का ध्रुव फन्ड हुआ। सेठ कल्याणमलजीकी माताने २५०००) कन्याशालाके लिये दिये जिसका मुहूर्त ता०६ अप्रैलको हुआ। मुनीम धर्मचंदनीने पालीताना धर्मशालाके लिये कहा-तो तुर्त ही १०००) का चंदा हो गया । श्रीमती मगनबाई, कंकुबाई आदि विद्यावती बहनोंके पधारनेसे बहुतसी स्त्री सभाएं हुई । स्त्री शिक्षा फंडमें ८००) का चंदा हो गया। श्राविकाश्रम बम्बई में जंबूसर जिला भडोच निवासिनी श्रीमती जीवकोरबाई कई बर्षतक एक श्राविकाका वियो-रहकर अर्थ प्रकाशिका आदि ग्रंथोंकी जानग व मगनबाईजीको कार हो गई थी व उससे बहुत कुछ आशा थी शोक । सो बीमार हो गई और वैशाख वदी ३ सोमवार ता० १३ अप्रैलको समाधिमरण महित २५ वर्षकी आयुमें स्वर्गधाम पधारी । मरण पहिले अपनी १५०००) की जायदादमें से ३०००) धर्मार्थ दान कर दिये जिसकी विगत अति उपयोगी जानकर यहां प्रकट की जाती है। १००१) श्राविकाश्रम बम्बई । ५००) अथप्रकाशिका छपानेको । ५००) जंबूसरमें संस्कृत पाठशाला । १००) धर्म पुस्तकें रखनेकी ४ अलमारीके लिये । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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