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महती जातिसेवा तृतीय भाग । ५ वीर सं. २४३९ ब विक्रम सं. १९७० (मारवाड़ी) ता. ९ जून १९१२के दिन प्रसिद्ध वैद्य जटाशंकर लीलाधरके सभापतित्त्वमें सभा करके धर्मार्थ औषधालयकी स्थापना करा दी। माता रूपाबाईने इसके लिये १५०००) हीराचंद गुमानजी जैन बोर्डिंग स्कूल वम्बईके टूष्ट कमेटीके आधीन कर दिये हैं। मिती आषाढ वदी ४ ता. २२ जून १९१३ को सेठ
_माणिकचंदनीने सूरतमें फूलकौर कन्याशालाका फलकौर कन्याशालामें दूसरा वार्षिक अधिवेशन सरदा सेठ ईश्वरदास सेठ जी। जगजीवनदास स्टोरके सभापतित्त्वमें किया।
मूलचन्द किसनदासजीने रिपोर्ट सुनाई। बालिकाओंसे धर्म सम्बन्धी श्लोक व स्तोत्रं सुननेके पीछे वार्षिक परीक्षाके उपलक्षमें कन्याओं को पुस्तक व वस्त्रा दिकका इनाम दिया गया। "पुत्रीने मातानी शिखामण" और "नारी दर्पणमां नीति वाक्यो" पुस्तके वांटी गई। इस समय ९२ बालिकाएं थीं जिनमें २४ दिग० व २१ श्वे० जैन थीं। सेठजीने सर्वका आभार मान व कन्याओंको चतुर देख अपनी लक्ष्मीके सदुपयोगसे परम हर्ष माना। __ श्रीमती मगमबाई अपने श्राविकाश्रम द्वारा योग्य कार्य
होने में कभी चूकती नहीं थीं। श्रीमान् श्राविकाश्रम बम्बईमें लॉर्ड हार्डिंग महोदयके वर्षगांठके दिन ता. सभा । २० जून १३को श्राविकाश्रममें धर्मपत्नी
सेठ हरनारायणदास रामनारायणदासके सभापतित्वमें सभा हुई, जिसमें लार्ड हार्डिंगकी दीर्घायु होनेका गीत गाया गया मिष्टान्न वितरण हुए तथा शिक्षा विभागसे जो लार्ड
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