________________
महती जातिसेवा तृतीय भाग | [७०९ पास ही पीली कोठी नामकी एक हवादार इमारत ९०००) के अनुमानमें खरीद ली गई है तथा इस २५०००) की रकमका ट्रष्टडीड भी हो गया है। मास्टर दीपचंदके उद्योगसे इस बोर्डिगका काम अब बहुत पक्का हो गया है । बाबू बच्चूलाल मंत्रीका काम बहुत विचारसे करत हैं । स्थापनाके समय सेठजीने अपनी पुत्रीद्वारा ३००) फंडमें दिये, तब सभापति शिवचरणलालन २५०) इस तरह ९६२) का चंदा हो गया। इस बोर्डिंग से भी बहुत बड़ा लाभ हो रहा है। छात्रों में जैनधर्मसे प्रेम बढ़ रहा है। वास्तवमें सेठजीको Will power ( आत्निक दृढ़ता ) बड़ी प्रबल थी। यह इसीका ही प्रताप था कि जो वह चाहते थे उस कार्यको कभी न कभी पूरा कराके ही छोड़ते थे। पूज्य पिताश्रीकी आज्ञा लेकर परोपकारी सुपुत्रके समान
कार्यकुशला श्रीमती मगनबाईजीने श्रीमती श्रीमती मगनवाईजीका कंकुबाई शोलापुर और श्रीमती चंदाबाई पंजाब भ्रमण । आराके साथ ता: २९ मई १९१२ से २
जुलाई तक पंजाबमें भ्रमण करके अपने धर्मोपदेशसे स्त्रियोंमें उत्तेजना दी तथा श्राविकाश्रम बम्बईका प्रचार किया । आपके भ्रमणका संक्षेप हाल यह है:____ ताः १ जूनको मथुरासे मेरठ होती हुई हस्तिनापुरमें पहुंचकर ता: ३से तक ठहरीं। ऋषभ ब्रह्मचर्याश्रमका निरीक्षण किया। बाईनीने ५१) व चंदाबाईने ५१) व ३०)के कपड़े, व कंकुबाईजीने ५) आश्रमको भेट किये। बहसूमा ग्राममें दर्शन करके सभा की। यहांसे चलकर मेरठ शहरमें आई। वहां रत्नत्रयपर व्याख्यान देकर
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org