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अध्याय बारहवां |
वीर सं० २४३८ में क्षेत्रपालपर बोर्डिंग सहित संस्कृत एंग्लो पाठशाला खुल गई और ११ छात्र बोर्डिंग में रहने लगे ।
खामगाम जिला वरार में नवीन जिन मंदिर व बिम्ब प्रतिष्ठाका उत्सव वैशाख सुदी ३ से १५ तक हुआ था । इसी बीचमें ताः २६ अप्रैल १९११ से ३० अप्रैल तक बंबई दि. जैन प्रान्तिक सभाका नवम वार्षिकोत्सव रानीवाले सेट पदमराज फूलचंद कलकत्तानिवासी के सभापतित्वमें बड़े समारोहसे हो गया । सेट माणिकचंदजी भी पधारे थे । कुल १२ प्रस्ताव पास हुए, जिनमें उल्लेख योग्य प्रस्ताव ७ शिखरजी व चंपापुरकी तेरापंथी कोठीके सुधारके विषय में व नं. १२ बरार प्रांतमें छात्रवृत्ति देनेके लिये था । इस आखरी प्रस्तावका समर्थन हमारे सेटजीने किया था । सेठजीकी प्रेरणास रा. रा. देवीदास चौरे बी. ए. एल एल. बी. वकील अकोला ने एक बोर्डिङ्ग १६-६-१९१० को अकोला में खोल दिया था; पर उसकी आर्थिक दशा अच्छी नहीं थी। सेठजी के इशारा करनेसे तुर्त ११०० ) का चंदा बरार शिक्षाप्रचारक खातेमें होगया तथा सुभाके खातों में भी ४५० आए। बाबू करोड़ीचंद आराके उद्यो
सरस्वती भवन आरा के लिये भी ४०० ) हो गए । भट्टारक देवेन्द्रकीर्तिने आरा भवनको १९१ ) नकद व १ प्रति संस्कृत गोमहसार की भेट की ।
खांमगाम में सभा और सेठजी ।
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