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महती जातिसेवा तृतीय भाग । ७०५ इस सभामें कोल्हापुर निवासी मि० कलाप्पा सावर्डेकरको चित्रकला सीखनेको इटाली भेजनेके लिये ११९४) का फंड कर दिया गया। इसमें सेठ माणिकचन्दनीने बहुत परिश्रम उठाया।
ता० ४ मार्चको जिलेके कमिश्नर मि. शेपर्ड साहबका स्वागत सभामें हुआ । उस समय साहाने अपने भाषणमें कहा “ जैन कोमका वर्तन बहुत सरल, उद्योगी और कर्तव्य दक्षताका होता है, जैनधर्म पृथ्वीके अत्यंत पवित्र और शुद्ध धर्मो में से एक धर्म है। इसके अनुयायी शांतताप्रिय और सुधारणाशील होते हैं, ऐसा मुझे मालूम होता है।"
श्रीमती मानवाई कंकुबाई आदि पहोपकारिणी स्त्रियोंके उद्योगसे ता० ४ और ५ मार्चको भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महिला परिषदकी दो बैठकें सेट हीराचन्द नेमचन्दकी धर्मपत्नी सौ० सकूबाईके सभापतित्त्वमें हुई। ४ प्रस्ताव पास हुए । स्त्रीशिक्षा फंडमें ३००) नकद आए । ४००० स्त्रियोंको उपदेश मिलनेसे स्त्री समाजमें अच्छी जागृति हुई थी।
बेलगांवमें मि. ए. पी. चौगले बी० ए० एल एल० बी० ने १००००) खर्च कर एक सुशोभित मंदिरजी बनवाया था उसकी पंचकल्याणक प्रतिष्ठा लक्ष्मीसेन भट्टारक कोल्हापुरके द्वारा फाल्गुण सुदी १२ से वदी ३ तक हुई थी। सेठ माणिकचन्दजी ललितपुरके सेठ मथुरादास टडैया और
. पन्नालालजीको वार वार यह उपदेश किया ललितपुरमें बोर्डिंग करते थे कि ललितपुरमें आप ग्रामीण बास्थापन । लकोंको विद्या पढ़ानेके हेतुसे बोर्डिंग खोलें।
उपदेशका असर कभी न कभी होता ही है।
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