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महती जातिसेवा तृतीय भाग। [६८? देता हूं तथा फरनीचर वर्तन आदि अलगसे खरीद दिया गया है। सर्वने दातारको धन्यवाद दिया । सेठनी मानो बोर्डिंगके भक्त थे। इस बोर्डिगके खुलनेसे आपको बहुत ही आनन्द हुआ। सांगलीके गत उत्सवके समय सांगलीके भाईयोंने अपनी
पंचायती धर्मादे की रकमसे दिगम्बर जैन सांगली दिगम्बरजैन बोर्डिंग स्थापनका विचार परमोपकारी सेठ बोर्डिगका स्थापन माणिकचन्दनीके उपदेशसे किया था, उसीके व सेठजीका १०१) स्थापनका महूर्त जेठ सुदी १२ वीर सं० का दान। २४३७ ता० ८ जून १९११को प्रातःकाल
बड़े ठाठवाटसे परमोपकारी दानवीर जैनकुलभूषण सेठ माणकचंदजी जे० पी० के द्वारा हुआ। कुंभ स्थापन व सरस्वती पून नके वाद हो सेठनीकी प्रमुखतामें सभा हुई । सेठजीके उपकारमें श्रीयुत वालचंदजीने विस्तार पूर्वक विवेचन किया कि उन्हींके प्रतापसे यहांके धर्मादेकी रकम सार्थक हुई । फिर राज्यमें प्रतिष्ठित न्यायाधीश रावबहादुर पाटकरने अनैन होने पर भी कहा कि " कितने समयसे जैनी लोग विद्या में बहुत पीछे थे परंतु अब सेठजीके महान प्रयाससे शिक्षाके साधन बनते जाते हैं इससे मैं सेठजीका अति आभार मानता हूं"। फिर सभापति सेठजीने कहा कि आपने जो आज मुझे मान दिया हैं उसके लिये में योग्य नहीं हूं कारणकि अपनी मनुष्य जातिका यह कर्तव्य ही है कि दूसरोंका उपकार करना ही चाहिये ।
और उसीके अनुसार मैं केवल अपना कर्तव्य बनाता हूं इसमें मैं कुछ विशेष नहीं करता हूं।"
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