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________________ अध्याय बारहवां | पावागढ़ सिद्धक्षेत्र के पर्वत पर कई जिन मंदिर जीर्ण पड़े हुए हैं इनमें से एक मंदिरका जीर्णोद्धार सेठ चुन्नीलाल हेमदूसरे का बेड़च पावागढ़ में बम्बई दि. माणिकचंदजी के भानजे सेठ जैन प्रा० सभा और चंद जरीवाले बम्बई और मगनबाईजीका निवासी जीवाभाई काशीदासकी विधवा इच्छाबाईने कराया । तथा इसीके साथ बिम्ब प्रतिष्ठाका उत्सव भी किया गया था । माह उद्योग । सुदी ७से ढाईद्वीपका पाठ प्रारंभ हुआ व अंकुरारोपण विधान हुआ । प्रतिष्ठाकारक भट्टारक श्री गुणचंद्रजी थे। इसी अवसर पर बम्बई दिगम्बर जन प्रान्तिक सभाका वार्षिक अधिवेशन प्रसिद्ध दानी नाथारंगजी गांधीवाले सेठ रामचंद नाथा के सभापतित्व में हुआ। स्वागतकारिणी सभा के सभापति सेठ चुन्नीलाल हेमचंद थे । जल्सा बहुत सफलतासे हुआ। श्री शिखरजी सम्बन्धी प्रस्ताव पास हुआ । पंडित गोपालदासजीको 'स्याद्वादवारिधि' का पद प्रदान किया गया तथा तीर्थके प्रबन्धके लिये एक कमेटी बनी जिसके सभापति सेठ चुन्नीलाल व कोषाध्यक्ष व मंत्री लालचंद कहानदास बड़ौधा हुए। इस सभा के अवसर पर सेठ माणिकचंदजी दक्षिण महाराष्ट्र जैन सभा के अधिवेशनपर सांगली गए हुए थे इससे वे जल्से में नहीं आ सके थे । उनकी सुपुत्री श्रीमती मगनबाईजी आई थीं जिन्होके उद्योगसे माह सुदी ११ ता० १०- २ - ११ की रात्रिको चुन्नीलाल हेमचंदकी धर्मपत्नी नंदकोरबाईके सभापतित्वमें ६७० ] Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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