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________________ महती जातिसेवा तृतीय भाग । [ ६६१ भक्तामर स्तोत्र बांटे | सेठ माणिकचन्दजीकी तरफ से एक स्त्रीको सोनेके रंगकी १ पेन्सिल भेट की गई । फिर मदद फंडके लिये कहते ही ४८४) रु० भर गए जिसमें हरगोविंददास प्रभुदास करमसदने १०१) व हरजीवन लालचंद बडौघाने १०१) दिये । प्रमुख भाषणके पीछे श्रीमती मगनबाईने सर्वका आभार माना । रात्रिको सेठजीके सभापतित्वमें सभा हुई जिसमें सेठजीने प्रगट किया कि हमारी भावज रूपाबाईने बोर्डिग के स्थान में धर्मशाला के लिये दो कमरे बनवाने की इच्छा दर्शाई है। सेठजीने यहां बहरे गूगों की शाला देखी कि उन्हे कैसे शिक्षण दिया जाता है । सेठजी मूलचंद किसनदास कापड़िया के साथ ता० १८ अक्टूबर को अजमेर पहुंचे । सेठ नेमीचन्दजीने बहुत सत्कार किया। रात्रिको जैनमंदिर में सभा हुई और १५ प्रतिनिधि दिल्ली के लिये चुने गए । ता. २० को जैपुर आए। स्टेशनपर १०० भाई हाजिर थे। सेठ बालमुकन्द वनकी हवेली में उतरे। यहां जैपुर में प्रवास व सेठ - पर ब्रह्मचारी शीतलप्रसाद चातुर्मास के प्रारंभजीको मानपत्र । से ठहरे हुए थे । ठोलियोंके मंदिर में तेरह - द्वीप विधान पूजा बहुत ठाठसे हो रही थी । रात्रिको भजन व कीर्तन होते थे । ता. २१ की दोपहरको वर्द्धमान जैन विद्यालय में जिसको पं० अर्जुनलाल सेठीने अपने खास प्रयत्नसे स्थापित किया था जैन शिक्षा प्रचारक समितिकी तरफ से ठाकुर कुंवर भोजराजसिंह के प्रमुखत्वमें एक मानपत्र अर्पण किया गया । सेठजीने उत्तर में कहा कि For Personal & Private Use Only अजमेर में सेठजी और सभा | Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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