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________________ महती जातिसेवा तृतिय भाग । रिपोर्टका सारांश कहते हुए सेठ माणिकचंदजीने प्रबन्ध खाते में द्रव्यकी जरूरत बताई तथा १०००) आपने दान किये। तब सेठ हुकमचंदजीने ९०१) दिये इस तरह ३१२२)का चंदा हो गया। सोनागिरजी व तेरापंथी कोठीके लिये कमेटियां बनाई गई । शिखरजी पर्वत रक्षाके लिए द्रव्य एकत्र करनेको भाई नियत हुए। श्रीमती मगनबाई, जानकीबाई, ललिताबाई, पार्वतीबाई, लाजवंतीबाई, चंदाबाई आदि पढ़ी हुई धर्मकी भा. दि. जैन महिला जानकर बहनोंके उद्योगसे छह स्त्रीसभाएं हुई। परिषदका स्थापन । अनेक प्रकारके उपदेश हुए। ६०)की मुद्रित पुस्तकें पढ़ो बहनोंको बांटी गई और स्त्रीशिक्षाके लिये ५५०)के अनुमान फंड हुआ तथा महासभाके समान सारे भारतको जगानेके लिये भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महिला परिषद् स्थापन हुई । इसकी प्रबंधकारिणी सभामें श्रीमती मगनबाईजी मंत्री व पार्वतीबाईजी प्रमुखा नियत हुई। मंदिर प्रतिष्ठामें भंडारके जो २००००)के अनुमान आए सो पर्वतरक्षा फंडमें शामिल होनेको सेठ परमेष्ठीदास कलकत्ताको दिये गए। - सेठनीने उपरैली कोठीके बड़े मंदिरजीके जीर्णोद्धारमें भंडारसे २५०००) खर्चकर एक बड़ा रौनउपरली कोठीमें कदार भव्य मंदिर कर दिया था, उसीपर • कलश व ध्वजा- वजा चढ़ानेका कार्य वसंत पंचमीके प्रातः . रोपणोत्सव । काल हुआ। कलश चढ़ानेकी बोली सेठ . सुखलालजी हजारीलाल छिन्दवाड़ाने ५५००) में, ध्वजा चढ़ानेकी सूरतके जयचंद हीराचंद तासवालेकी विधवा कंकु Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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