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________________ अध्याय बारहवां । दी । डाक्टर साहबको अब तक मांस व मत्स्यका त्याग न था, पुस्तक पढ़नेसे ऐसी घृणा हुई कि डाक्टर साहब और उनकी पत्नी दोनोंने मांस मत्स्यका खाना त्याग दिया। इन अभक्ष्योंके छोड़नेसे डाक्टर साहबकी कई बीमारियां जाती रहीं । सेठनीने सुनकर बड़ा आनन्द माना। मिती पौष शुल्क १४ वीर सं० २४३६ को बम्बई मारवाड़ी मंदिरमें सभा हुई । उसमें दक्षिणकी यात्रासे बम्बईमें आम सभा । लौटकर आए हुए अलीगढ़निवासी पंडित श्रीलालजीका व्याख्यान धर्मकी महिमापर हुआ। इसी दिन भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभाके वार्षिकोत्सवके लिये जो श्रीसम्मेद शिखरजीपर माव सुदी १ से ५ तक होनेवाला था, बम्बई दि. जैन पंचायतकी तरफसे सेठ माणिकचंद हीराचंद जे. पी, ब्रह्मचारी शीतलप्रसादनी, पं० धन्नालालजी, लाला प्रभुदयालजी आदि प्रतिनिधि चुने गए । माघ कृष्ण २ को हीराबागमें बिलसन कॉलेनके संस्कृत प्रोफेसर श्रीयुत हरि महादेव भड़कमकर बी० ए० के सभापतित्वमें सेठजीने सभा करवाई। इसमें पंडित श्रीलालजीने जैनधर्म ही जीवका कल्याणकारी धर्म हो सकता है-ऐसा सिद्ध किया। श्रीमन्त सेठ पूरणप्ताह सिवनी छपारा मध्यप्रदेशने श्री शिख रजीकी तेरापंथी कोठीमें एक नवीन जिन सम्मेद शिखरजीमें मंदिर तैयार कराकर उसकी बिम्बप्रतिष्ठा महासभा । कराई थी। इसकी बड़ी धूम हुई । मेले में ___ ३०००० से अधिक मनुष्य आए थे । विद्ववर पंडित नरसिंहदासजीके द्वारा बिम्बप्रतिष्ठाका समारम्भ एक बड़े Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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