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अध्याय बारहवां । . ४ की रात्रिको पहाड़ी धीरजमें आम सभा हुई, जिसमें प्रो० लडे और शीतलप्रसादनीने धर्मपर व्याख्यान दिया । ता० ५ की रात्रिको शहरमें लाला मगुनचंदके मंदिरनीमें सभा हुई । इसमें उक्त दोनों महाशयोंने मिथ्यात्व, अन्याय और अभक्ष्य त्यागपर उपदेश दिया । बहुतसे भाइयोंने वेश्यानृत्य न करानेका व पर स्त्रीत्यागका नियम लिया। सेठ माणिकचंदनीने विद्योन्नतिपर कहते हुए दिहलीमें जैन हाईस्कूल और बोर्डिङ्गकी आवश्यक्ता बताई। यहांसे चलकर ताः ६ को आगरा आए। ताः ७ को
मोती कटरे के बड़े मंदिरजीमें आम सभा आगरा बोर्डिंगका हुई । शीतलप्रसादजीने बोर्डिंगकी आवश्यक्ता प्रबंध । बताई । इसका समर्थन भा० दि० जैन महा
सभाके महामंत्री मुशी चम्पतराय, प्रोफेसर लढे और सेठ माणिकचंदनीने किया । सेठजीने ४०००) भेनकर हरिपर्वतके पास जमीन पहले ही ले दी थी। रायबहादुर घमंडीलालने कहा कि आगामी पौष सुदी ६ को चौधरी मोतीलालके हाथ मुहूर्त बोर्डिंग मकान बनानेका करा दिया जायगा। कमेटीके उपमंत्री बाबू अमृतलाल बी० ए० नियत हुए। चंदा देनेकी प्रेरणा करके सेठजी यहांसे बम्बई आगए। श्रीमान् सेठजीकी धर्मपत्नी नवीबाईजीको कई मास पहलेसे
गर्भ था। सेठजीको निराशा ही थी कि पुत्रसेठजीको पुत्रका का लाभ होना कठिन है। आपकी निरालाभ । शाका बहुत बड़ा उदाहरण यह है कि एक
दिन शीतलप्रसादजीसे आपने कहा कि मैंने अपनी स्त्रीके लिये बहुत कुछ जायदाद अलग करली है, पुत्रका
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