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५९६ ] - अध्याय ग्यारहवाँ। सेट माणिकचंदजी अहमदावादमें प्रेमचंद मोतीचंद दि० जैन
बोर्डिंगका वार्षिक कोत्सव करने व अमदावाद बोर्डिंगका श्राविकाश्रम स्थापन करनेके लिये सातवां वार्षिकोत्सव । शीतलप्रसादजीके साथ आए । बाहरसे बहुतसे
भाई आए थे। आसोज सुदी १० को सवेरे एक भारी सभा जुड़ी। नगरके प्रतिष्ठित पुरुष मौजूद थे। सेठ माणिकचंदजी हीराचंदनीके प्रस्ताव करने और संठ जैसिंहभाई गुलाबचंदके समर्थनसे ट्रेनिंग कालेनके प्रिन्सपल स. मा. कमलाशंकर प्राणशंकर त्रिवेदी बी. ए. ने सभापतिका आसन ग्रहण किया। सेक्रेटरी लल्लूभाईने रिपोर्ट पढ़ी फिर शीतलप्रसादजीने बोर्डिगका कार्य संतोषकारक है ऐसा कहकर शुद्ध
आहारके लाभ व अशुद्ध आहारके अलाभ बताते हुए हड्डीके संसर्गस बनी हुई परदेशी शक्करके निषेधपर कहकर धार्मिक शिक्षाकी उपयोगिता बताई। सेठ हरजीवन रायचंद अमोदवालेने समर्थन किया फिर सभापतिने अपने भाषण में कहा कि सेठ माणिकचंदजीका ध्यान शिक्षाप्रचार पर है, इससे मुझे बड़ा आनन्द है, तथा बोर्डिंगकी संस्थासे रीति भांति सुधरती व मनमें एकाग्रता आती है । रात्रिको विजिटर्स कमेटीकी बैठक इसणाववाले सेठ नरसी गंगादासके सभापतित्वमें हुई। पालीतानावाले मुनीम धरमचंदजी हरजीवनने मनोहर कविता पढ़ी। श्राविकाश्रम खोले जानेकी सूचना हरजीवन रायचंदने की। छोटेलाल घेलाभाई अंमलेश्वरने श्राविकाश्रमके लिये प्रबन्धकारिणी कमेटीके नाम सुनाए । सभापति सेठ माणिकचंदनी व मंत्री छोटेलाल घेलामाई हुए। नारायणदास मोतीलालने ५५०) बोर्डिगमें दिये । शीतलप्रसादजीने
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