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अध्याय ग्यारहवां ।
जव भारतमें यह कनून पास हुआ कि हिन्दू और मुसलमानोंके प्रतिनिधियोंके सिवाय (सिक्ख और नैनी ऐसी) सर्कारी कौन्सिलों में आवश्यक जातियोंके भी प्रतिनिधि रहेंगे, तब जैन प्रतिनिधि | भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा की ओरसे लार्ड मिन्टोकी सेवामें कलकत्ते जो अर्जी सेठजीने भेजी थी कि जैनियोंकी तरफसे भी प्रतिनिधि लिया जाय, वह अर्जी नीचे प्रगट की जाती है । उसका जवाब ता० ६ अक्टूबरका नं० ३८४३ में आया कि बम्बई जवाबके लिये भेजी गई है तथा बम्बई से नं० ५४०३ ता० १५ अक्टूबर १९०९ के पत्र में जो जवाब आया वह यह है कि अल संख्यक जातियों के प्रतिनिधियों के लिये कुछ जगहें संरक्षित रक्खी गई हैं उनको देते हुए उपयोगी जैन जातिकी मांगका पूरा खयाल किया जायगा । ये दोनों जवान भी इंग्रेजी के प्रगट किये जाते हैं। क्योंकि अभी तक इनकी अमली कार्रवाई नहीं हुई है अतएव जैनियोंको उचित है कि सर्कारको अपने पत्र में किये हुए वादेकी याद दिलावे तो अवश्य सफलता प्राप्त होगी ।
To,
(1)
His Excellency the Earl of Minto,
P. C., G. C. M. G., G. M. S. I, G.M. I. E.,
Viceroy & Governor General of India, •
CALCUTTA.
May it please Your Excellency,
The Humble Memorial of the Bharat Varshiy Digamber Jain Maha Sabha,
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