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महती जातिसेवा द्वितीय भाग । आकलुजसे सेठ. गंगाराम और उत्साही नवयुवक बापूजी पानाचंद नाथा तथा फल्टनसे बाबू चंदूलाल वकील आदि आए थे । मगसर वदी ६ को ब्र० महतीसागरजीके स्मरणार्थ महतीसागर धर्मोद्योतनी नामकी सभा स्थापित हुई। यह प्रतिवर्ष इस क्षेत्रपर होवे और धार्मिक व सामाजिक उन्नति करे। इसका अधिवेशन हुआ। सेठ माणिकचंदजी सभापति हुए। शिक्षा प्रचार, कन्याविक्रय निषेध, स्वदेशी वस्तु व्यवहारके प्रस्ताव पास हुए । रात्रिको फिर जल्मा हुआ।
शीतलप्रसादनीने सभाके लाभ बताए । फिर क्षेत्रके सुप्रबन्धार्थ ७ महाशयोंकी कमिटी बनी । मंत्री बाबू चंदूलालजी हुए। फिर सेठ वीरचंद कोदरजी फल्टनने कहा कि कल रात्रिको वीसाहुमड़की पंचायतने सेठ माणिकचन्दजीकी सम्मतिके अनुसार नीचे लिखा पंचायती ठहराव स्वीकार किया है
" बासाहुमड जाति सुधारिणी सभा “ऐसा ठहराव करती है कि कोई भी वसिाहूमड़ अपनी लडकीकी सगाई १० वर्षकी कम अवस्थामें न करे।" .
इस पर उपस्थित भाइयों के दस्तखत हुए हैं । शेष हस्ताक्षर कराये जायगे । मैं मंत्रीका काम करूंगा । कन्याविक्रय न करेंगे इस पर भी बहुतले भाइयोंने दस्तखत किये । इस मौके पर कुरीति निवारण पर एक भाषण जो स्वयं सेठजीने लिखकर छपवाया था पहा ।
यहां जैनियोंके ७ घर व संख्या ३० होने पर भी स्वागत व भोजन सत्कारका प्रबन्ध अच्छा था । ८०० जैनी स्त्री पुरुष एकत्र हुए थे।
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