________________
गुजरात देशके सूरत शहरका दिग्दर्शन। [ ३७ मंदिर व शास्त्रोंकी बहुत रक्षा की है । कई तीर्थीका उद्धार किया है। विद्याबलसे अनेक चमत्कार दिखाये हैं व ग्रंथ-रचना भी की है। यद्यपि आज कलके कुछ भट्टारक चारित्रहीन दिखलाई पड़ते हैं तथापि पहिले ये लोग सिवाय वस्त्र रखनेके और सर्व चारित्र-बाह्य क्रिया योग्य करते थे व धर्मकी रक्षार्थ ही जीवनका उपयोग करते थे।
सूरतकी गद्दीके भट्टारक । । १ श्रीपद्मनन्दि २ ,, देवेन्द्रकीर्ति ३ ,, विद्यानन्दि (सं० १५१८) ४ ,, मल्लिभूषण (चंदावाड़ीके बड़े मंदिरकी प्रतिमाओंपरसे
सं० १५४४) ५ ,, लक्ष्मीचंद्र ६ ,, वीरचंद्र
, ज्ञानभूषण ८,, प्रभाचंद्र ९,, वादिचंद्र (चंदाबाड़ीके बड़े मंदिरकी प्रतिमाओंपरसे
(सं० १६४१) १० ,, महीचंद्र-( इन्होंने संस्कृतमें पंचमेरुपूजा आदि पुस्तकें
__ रची हैं।) ११ ,, मेरुचंद्र (इन्होंने संस्कृतमें नन्दीश्वरपूजाविधान रचा
है। सं० १७२२) १२ ,, जिनचंद्र
. १३ ,, विद्यानन्दि (सं० १८०५)
م م 86 م
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org