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________________ महती जातिसेवा द्वितीय भाग। [५७१ ही सभा हुई । सभापति सेठजीको ही नियत किया। बाबूलालजी प्रयागकी प्रार्थनापर कि शिखरजी व स्याद्वाद पाठशालाका हाल बताया जावे शीतलप्रसादजीने कहा कि हम लोग रांची गए थे। लाट साहब कुल पर्वतका पट्टा देनेको तयार हैं पर वह २ लाख नकद व १५०००) वार्षिक मांगते हैं। जब कि इधरसे अर्जी दी गई कि सदाके लिये झगड़ा मिटानको हम लोग २॥ लाख नकद और ४०००) वार्षिक देना चाहते हैं अभी मामला तय नहीं हुआ है तथा काशी विद्यालयमें २७ छात्र भली प्रकार संस्कृत अध्ययन कर रहे हैं । इतना कह धार्मिक विद्याकी आवश्यकताको बताते हुए जहां कालेन हों वहां जैन बोर्डिङ्गकी जरूरत दिखाई। इसका समर्थन बाबू जुगमन्दरलाल एम० ए० के भाई समन्दरलाल और बाबू बच्चूलालने किया । सेठजीन भी इसकी पुष्टि करके सभाको समाप्त किया । दूसरे दिन जैनधर्मशाला में सभा हुई । बाबू शिवचरणलालजी सभापति हुए । शीतलप्रसादजीने ऐकता और प्रेमपर व्याख्यान दिया । समर्थन पंडित झम्मनलालजी अध्यापक जैन पाठशालाने किया। फिर सेठजीने जैन बोर्डिंगकी आवश्यकतापर कहा । बाबू शिवचरणलालने पुष्टि की और चंदा खर्चका लिखनेको तय्यार हुए पर पूरा होनेकी आशा न देखकर काम बंद रहा । दूसरे दिन सबेरे सेठजी शीतलप्रसादभी और गजकुमारजी आराको लेकर स्वर्गवासी बाबू सुमेरचंदनीकी धर्मपत्नीको बोर्डिगकी आवश्यकता बताने गए तथा यह सुन रक्खा था कि उक्त बाई २५०००) किसी धर्मकार्यमें लगाना चाहती हैं। इनसे समझाया गया कि यहां बोर्डिंग होनेसे कालेनके छात्र जैन धर्मके श्रद्धानसे च्युत न होंगे, बड़ा भारी उप-- Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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