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________________ ५४० ] अध्याय ग्यारहवां । . जे० पी० हुए तथा एसोसिएशनके प्रमुख पदको जैपुरनिवासी बाबू गुलाबचंद ढढा एम० ए० ग्रहण करें ऐसा निश्चित हुआ । पावागढ़ बड़ौदाके पास सिद्धक्षेत्र है । जहांसे श्रीरामचंद्रके पुत्र लव और कुश और ५ करोड़ मुनि पावागढ़में बम्बई मोक्ष पधारे हैं। यहांपर बम्बई प्रान्तिक प्रां० सभा। सभाका वार्षिक उत्सव मेलेके समय माह सुदी १२ से १५ तक करनेके प्रबंधार्थ ता० ७ दिसम्बर सन् ०७को हीराबागमें एक सभा हुई। सेठनी भी उपस्थित थे। जल्सेका खर्च ११००) का तजवीज हुआ व सेठ लालचंद कहानदास स्वागतकारिणी सभाके सभापति नियत हुए । इस जल्सेके लिये सेठ हीराचंद नेमचंद-आनरेरी मजिस्टेट शोलापुर सभापति नियत किये गए थे। इसी तरह दक्षिण महाराष्ट्र जैन सभाका अधिवेशन जो प्रति वर्ष हुआ करता है उसके प्रबन्धार्थ ता० द० म० जैन सभाका १७-११-०७को चिंचलीमें सभा हुई बार्षिक जल्सा। जिप्समें सेठ माणिकचंदजी स्वागत कमेटीके अध्यक्ष नियत किये गये । जैन यंगमेन्स एसोसियेशन कि जिसका नाम अब भारत जैन महामंडल है उसका नवमाँ वार्षिकोत्सव सूरतमें जैन यंगमेन्स एसो० ता० २९-३०-३१ दिस०को नगीनचंद सूरतमें। इन्स्टीटयूट हॉलमें हुआ । बाबू चेतनदासनी, बाबू सुलतानसिंह वकील मेरठ, पं० अर्जुनलाल सेठी जैपुर आदि अनेक दिगम्बरी व अहमदाबाद भावनगर आदिसे श्वेताबरी स्थानवासी आए थे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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