________________
महती जातिसेवा द्वितीय भाग । [ ५३५ : लक्ष्मीचंद बम्बई, कोषाध्यक्ष मोतीचंद लीलाचंद ईंडर व मंत्री वेणीचंद उगरचंद ईडर नियत हुए । नियमावली भी बनाकर दे दी गई ।
ता: २४ को चलकर दिग० व श्वे० पार्टी सीरपुर गांव में आई। यहां श्वे० के ६० व ७० घर हैं । झगडेका फैसला | रात्रिको उपाश्रय में सभा हुई । शीतलप्रसादीने एकता, विद्योन्नति, बालविवाह निषेध पर १ || घंटा व्याख्यान दिया । डाह्याभाई नगीनदास श्वे० ने समर्थन किया । फिर सेठजीने बालकोंकी छोटी अवस्था में सगाई न की जावे इस पर बहुत जोर दिया। यहां ऐसा बुरा कायदा था कि जो जैनी कन्या व पुत्रकी सगाई उसकी ४ वर्षकी उमर तक न करे उसे ५) दंड हो ! इससे बहुतेरे जन्मते ही सगाई कर देते हैं । ऐसी खोटी बंदी करनेका कारण मुसलमानों का जोर जुल्म हो सक्ता है ।
यहां जैनियोंके दो घड़े थे उसके मेटने का अधिकार सेठजी, शीतलप्रसादजी, सेठ फतहचंद और डाह्याभाईके आधीन किया गया । सबेरे चलकर बड़नगर आए। सेठ फतह चंद के वहां ठहरे। उन्होंने बहुत सन्मान किया तथा सीरपुर गांव का फैसला लिखके दे दिया गया । ता० २६ को सूरत आए । फूलकौर कन्याशालाका निरीक्षण किया। उस समय ७५ कन्याएं थीं जिनमें २३ दिग०, १४ श्वे० व शेष उच्च हिन्दू वर्णकी थीं। एक अध्यापिका व दो अध्यापक पढ़ाते थे । जैन धर्मकी शिक्षा के साथ व्यवहारिक ज्ञान दिया जाता था ।..
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org