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________________ महती जातिसेवा द्वितीय भाग । [५२७ वली लिखी गई। रात्रिको भी मंदिरजीमें सभा हुई। कुल नाम ६५ चुने गए । ता० २७ को सवेरे लाट साहब आए । दिगम्बरी मंदिरजी व धर्मशालाका निरीक्षण कर पर्वतपर एक बंगले में गए तथा ता० २८ को सवेरे प्रतिनिधियोंको मिलना था । लाट साहबने थोड़े ही आदमी बुलाये थे तब ६५ मेंसे २८ नाम छोटे गए। सबेरा होते ही कोई डोलीपर कोई डोली न मिलनेसे पेदल रवाना हो गए। राय ब० घमंडीलाल, लाला ज्ञानचंद, सेठ हुकमचंद, बाबू धन्नूलाल अटार्नी, राय० ब० नत्थीलाल, लाला रामलाल आदि १५ दिग० ठीक समय पर पहुंचे उनको लेकर लाट साहब पार्श्वनाथस्वामीकी टोंकसे कुंथुनाथस्वामीकी टोंक तक आए फिर सीतानाले तक आए । श्वेता बरियोंको भी बुलाया था पर इनमेंसे कोई न पहुंच सका । उस दिन सर्व ही दि० यात्री धोए हुए धोती डुपट्टे पहनकर पूजाकी सामग्री लेकर पहाड़ पर बन्दनार्थ गए थे। लाला साहबके दिलमें चारों ओर नग्न सिर यात्रियोंको पूजा करते देखनेसे बड़ा भारी प्रभाव पड़ा । बहुतोंसे लाट साहबने बात भी की। इसदिन बहुतसे यात्रियोंने उपवास किया। सेठजी पैर में चोट होने व डोली न मिलनेसे पर्वतपर . न जासके । जैनियों ने अच्छी तरह पर्वतकी पवित्रता समझाई। लाट साहब २ बजे बगलेपर लौटे तब राय बद्रीदास आदि ७-८ श्वे० व कुछ दिगम्बरी मिले। इस अवसर पर श्वेताम्बरी करीब १०० के ही कुल आए थे जव कि दिगम्बरी २५०० के करीब जमा हुए थे । इस समय कोई बात नहीं की । ता० २९ को सवेरे लाट साहब नीचे उतरे । तथा दिगम्बरी मंदिरमें कपड़ेके जूते पहनकर गए। वहांसे आ लक्ष्मी सेन भट्टारक कोल्हापुरसे मिले । उन्होंने Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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