________________
अध्याय दूसरा ।
किसी भट्टारकका नाम लेखमें नहीं है, केवल श्रीकुन्दकुन्दाचार्यजी महाराज हैं, जो परम ऋषि दिगम्बरी आत्मज्ञानी व अनुपम विद्वान् और योगीश्वर थे।
___ सूरतकी गद्दीका संबंध ईडरकी गद्दीसे है, ऐसा सुनते हैं। इस ईडरकी गद्दीके भट्टारकोंकी नामावली इस प्रकार है:
१ श्रीभद्रबाहु १८ श्री वसुनन्दी ३५ श्री नागचन्द्र २ ,, गुप्तिगुप्त १९ ,, वीरनन्दी ३६ ,, नयचन्द्र ३ ,, माघनन्दी २० ,, माघनन्दी ३७ ,, हरिचन्द्र ४ ,, जिनचन्द्र २१ ,, माणिक्यनंदी ३८ ,, महीचन्द्र
श्री पद्मनन्दी २२ ,, मेघचन्द्र ३९ ,, माघचन्द्र ६ , उमास्वामी २३ ,, शांतिकीर्ति ४० ,, लक्ष्मीचन्द्र
,, लोहाचार्य २४ , मेघकीर्ति ४१ ,, गुणकीर्ति
,, यशःकीर्ति २५ , पद्मकीर्ति ४२ ,, विमलकीर्ति ९ , देवनन्दी २६ ,, विनयकीर्ति ४३ ,, लोकचन्द्र १० ,, गुणनन्दी २७ ,, भूषणकीर्ति ४४ ,, शुभचन्द्र ११ , वज्रनन्दी २८ ,, शीलचन्द ४५ ,, शुभकीर्ति १२ , कुमारनन्दी २९ , नन्दीकीर्ति ४६ , भावचन्द्र १३ ,, लोकचन्द्र ३०, देशभूषण ४७ , महीचन्द्र १४ , प्रभाचन्द्र ३१ ,, अनन्तकीर्ति ४८ , माघचन्द्र १५ ,, नेमिचन्द्र ३२ ,, धर्मचन्द्र ४९ , ब्रह्मचन्द्र १६ , अभयनन्दी ३३ , विद्यानन्दी ५० ,, शिवनन्दी १७ ,, सिंहनन्दी ३४ ,, रामचन्द्र ५१ ,, वीरचन्द्र
Marw rur 2 V
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org