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महती जातिसेवा प्रथम भाग | [ ४८७
म्बरको सबेरे पधारे । आपका स्वागत बड़ी धूमसे हुआ | स्टेशनपर बनात बिछाई गई थी, बैंड बाजा बजा था । बाबू धन्नूलालने अभिनंदनपत्र पढ़कर अर्पण किया । १०० गाड़ियों की कतारके साथ सवारी नगर में घूमकर स्थानपर आई । कलकत्ते में जैनियोंकी बड़ी प्रख्याति हुई। उनके साथ हकीम कल्याणराय उपदेशक भी थे।
कांग्रेसका मंडप १२००० मनुष्योंके बैठने योग्य व ३००० के खड़े होने योग्य बना था । खचाखच भरा हुआ था, इसके जलसे ता० २६, २७, २८, २९ दिस० को हुए । दादाभाई नौरोजीका व्याख्यान बड़ा प्रभावशाली हुआ । अति महत्त्व के प्रस्ताव बंगभंगके विरोध, आफ्रिकामें भारतियोंपर अन्यायका प्रतिवाद, प्रारंभिक शिक्षा मुफ्त और अनिवार्य, तथा स्वदेशी आन्दोलनके हुए । कांग्रेसकी प्रदर्शनी २२ एकड़ जमीन में थी । प्रदर्शनी इतनी भारी थी कि गलियोंकी लम्बाई ३ मील थी । इसको ता० २१ दिस० को स्वयं बड़े लाट लार्ड मिन्टोने खोला था | प्रदर्शनीसे मालूम हुआ कि देशी कारीगरीकी चीजें बनानेके लिये लोगोंका ध्यान बढ़ रहा है। चीनी बनानेकी देशी कल देखने में आई । वह बहुत ही योग्य थी । एक ही समय ईख डालकर शक्कर बना ली जाती थी । ता० २४ दिस० को दिनमें और ता० २५ दिस० की रातको जैन यंग मेन्स एसोशियेशनके तथा ता० २५ दिस० के दिनमें व ता० २६ की रातको व ता० २७ के दिन रात्रि में महासभा के जल्से लाला रूपचंदजी के सभापतित्व और बाबू धन्नूलालजी के उपसभापतित्व में हुए ।
बाबू धन्नूलाल का स्वागतार्थ व्याख्यान बहुत ही विद्वतापूर्ण,
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