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________________ ४८४] अध्याय दशवां । कार्रवाई के लिये भेज दी। बावूनी उस समय मा० दि० जैन महासभाकी ओरसे उपदेशक फंडके मंत्री थे। आपने उसे जैनगनट वर्ष ११ अंक ४४-४८ में प्रसिद्ध की। इसके तीन विभाग रक्खे-उत्तम, मध्यम, प्रथम । जो दि० जैन परीक्षालयकी पंडित परीक्षा पास हो वे उत्तम, जो संस्कृत सहित एन्ट्रेम तक योग्यता रखते उपदेशकीय परीक्षा। हों वे मध्यम और जो हिन्दी अच्छी जाने के प्रथम देवे । प्रत्येक परीक्षा में उत्तीर्ण दो उत्कृष्टको इनाम इस भांति नियत किया नं० १ को नं० २ को उत्तमा परीक्षा १२५) १००) मध्यमा , ७५) ६०) प्रथमा , ५०) : c प्रत्येक परीक्षामें ४ विषय नियत किये उत्तमामें-आप्त परीक्षा, आप्त मीमांसा सार्थ पाठ्य पुस्तककी तरह; स्वाध्याय-समयसार आत्मख्याति और मोक्षमार्गप्रकाश । लेख लिखना ८ फुलस्केप सफोंपर और २ घंटे तक व्याख्यान देना । ___ मध्यमामें--पाठ्य पुस्तक-तत्वार्थसूत्र सार्थ कंठ, द्रव्यसंग्रह सार्थ कंठ, रत्नकरंड श्रावकाचारमें सम्यक्त लक्षणके श्लोक, स्वाध्यायपद्मपुराण व पद्मनंदि पंचविंशतिका; लेख ८ सफेपर व व्याख्यान १॥ घंटे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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