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________________ ४५२ ] अध्याय दशवां । फिर मंदिरजीके सुप्रबन्धार्थ एक प्रबन्धकारिणी सभा और दूसरी जात्युन्नतिके लिये-जातिके झगड़े तय करनेके लिये सभा स्थापित हुई। सवाई सि० खेमचंद छिंदवाड़ाके पेश करने और सिंहई जुगराजसाहके समर्थनसे पाठशाला खोलनेका निश्चय किया गया। लोगोंमें बहुत उत्साह था। सभा रात्रिको २ बजे समाप्त हुई। यहांसे सेठजी सीधे बम्बई पधारे। चैत्र सुदी १४ स० ६३की रात्रिको बम्बई स्थानीय . सभाका एक अधिवेशन मि० लल्लूभाई प्रेमासेठजीका बम्बई सभा नन्द एल. सी. ई. की अध्यक्षतामें हुआ। द्वारा हर्ष प्रकाश। बम्बईके सभी मुख्य भाई उपस्थित थे। तक, शीतलप्रसादजीने सर्कारकी ओरसे जे० पी० का पद मिलनेके उपलक्ष्य में सभाकी ओरसे सेठजीको अपना पूर्ण हर्ष प्रगट किया तथा यह कहा कि “ जिस दिन आपको यह. पदवी मिली उस ही दिन आप कुंडलपुरकी यात्रा पधारे। यात्रामें रात्रि दिन जाति व धर्मकी सेवा करनेवाला एक धनवान सेठजीके समान दूसरा देखने में नहीं आया। आपने जबलपुर ऐसे कठिन स्थानमें बोडिंग स्थापनका निश्चय कराया व सिवनीकी फूट मेटी, ये दोनों बड़े ही भारी काम किये हैं। आपको सर्कारने जो यह पद दिया है आप उसके सर्वथा योग्य हैं। काशी स्याद्वाद पाठशालाके छात्रोंने संस्कृतमें एक अभिनन्दनपत्र पत्रमें भेजा था सो वैद्य कन्हैयालालजीने बांचकर सुनाया, फिर सभापतिने सेठजीके करकमलोंमें अर्पित किया। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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