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अध्याय दशवां । पढ़ाना शुरू किया है, ४ स्त्रियां छह:ढाला पढ़ती हैं तथा अष्टमी चौदसको उपदेशिका सभा की जायगी। ईडरसे जानकीबाई अध्यापिकाने लिखा कि प्रतिमासकी सुदी १४ को 'स्त्री धर्म प्रकाशिनी सभा' नामकी सभा हुआ करेगी तथा रात्रिको ७ से ८ तक श्रीरत्नकरंडश्रावकाचार स्त्रियोंको सुनाना शुरू कर दिया है। त. २५ फर्वरी १९०६ को हीराबागमें कविराज घेलाभाईकी
अपूर्व स्मरणशक्तिका परिचय पाने के लिये कपड़े के मनोहर एक सभा हुई थी। उसमें सेठ माणिकचंदनीने जूते । एक विलायती जूतोंका बहुत मुन्दर और
मजबूत जोड़ा दिखलाया था जो केवल कपडेका बना था, पर बनावट, रंग, तथा पालिशमें विलायती चमड़ेके जुतेसे किसी बातमें कम नहीं था। विलायतमें वेजीटेरियन सोसायटी है जिसके सभ्य बनस्पति भोनी और मदिरा, मांस, चर्बीसे अत्यन्त परहेज करनेवाले हैं । इसीने सेठजीके पास नमूनेके तौरपर भेजाथा । सेठजीने बतलाया कि लंडनमें ५०-६० क्लब मांस वर्जित भोजनके हैं। प्रत्येकमें ४००-६०० मनुष्य भोजन करते हैं । चमड़ेसे भी हिंमा होती है ऐसा समझकर यह जूता तय्यार कराया गया है। हमारे देशवासी भाइयोंको उचित है कि चमड़ेका व्यवहार कम करें। . श्रीमती मगनबाईजीके पत्रव्यवहारसे प्रेरित हो श्रीमती
___ ललिताबाई अंकलेश्वरने जैनगजट अंक ललिताबाई का कार्य। ११ वर्ष ११ ता० १६ मार्च १९०६ में
'जैन भगनियों प्रति उत्तेनना। ऐसा लेख प्रगट किया तथा सूचना दी कि वह अपने गांवमें ४ स्त्रियों को मा
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