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________________ महती जातिसेवा प्रथम भाग । [४२७ मैसूरने भी इसका समर्थन किया। ता० ११ को तृतीय सभा हुई। कार्यकर्ता नियत हुए। अध्यक्ष और कोपाध्यक्ष शेठ माणिकचंद हीराचंद जौहरी बम्बई नियत हुए। सभापति अनंतराजैय्याने चांदीके कास्केटमें एक मानपत्र . श्रीमान् शेठ माणिकचंदजीको अर्पित सेठ माणिकचंद जीको किया तथा प्रशंसामें कहा कि " इनके पूज्य मानपत्र । पिता शेठ हीराचंदजी वास्तवमें हीरेके तुल्य अद्भुत गुणधारी थे तथा जिनके पुत्र सेट मोतीचंद मोतीके तुल्य, सेठ पानाचंद पन्नारत्न तुल्य, सेठ माणिकचंद माणिक्य रत्न के समान तथा सेठ नवलचंद नीलरत्नके समान शोभनीय हैं । इनका कुटुम्ब निर्मल रत्नों का भंडार है जिसमें सेट माणिकचंदनीका धर्मकी ओर विशेष राग है तथा इनकी धार्मिक प्रीति सर्व सज्जनोंको राग उपनाती है सो माणिक्य रत्नमें राग होना ही उचित है । इस निर्मल कुटुम्बका निवास भी बम्बईके रत्नाकर पैलेसमें अधिक शोभनीक है।" मानपत्रकी नकल इस भांति हैदक्षिण महाराष्ट्र जैन सभेचें मानपत्र. श्रीमान् दानवीर शेट माणिकचंदजी हिराचंदजी अध्यक्ष, भारतवर्षीय दिगंबर जैन महासभा. मु० श्रीक्षेत्र स्तवनिधि यांचे सेवेसी. श्रेष्ठि महाशय ! सहारनपुर येथील महासभेच्या अधिवेशनाचे अध्यक्षस्थान Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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