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गुजरात देशके सूरत शहरका दिग्दर्शन। [ २१ लेकर आया और ता० १९ जनवरी सन् १९७३ में सूरतके गोपीपुरामें अपना अड्डा जमा और ६ मार्च १६७३ के दिन किलेपर अपना झंडा गाड़ा और खलीज़खांको अपना कारबारी नियतकर देहली चला गया। देहली पहुंचकर राजा टोडरमलको बंदोबस्तके लिये भेना। उक्त राजाने बहुत अच्छा प्रबन्ध किया। कोई किसीकी ज़मीन न दबावे, कोई कम बढ़ तौलकर दे ले नहीं, बाज़ारका भाव ठीक रहे, ऐसे कई उपयोगी महकमे नियत किये। इस वक्त सुरतमें व्यापार खूब बढ़ रहाथा। जो रांदेरमें था वह सुरतमें चमक उठा था। यूरुपसे भी व्यापारी बहुत आने लगे थे। अकबर, शाहजहां व जहांगीर बादशाहके वक्त में यह Mercantile city:of India भारतका व्यापारी नगर कहलाता था। अकबरकी मालगुज़ारीमें इसको First classport पहले नंबरका बंदर लिखा है ( Imp. G. 1908)
जिस वक्त बादशाह जहांगीर देहलीमें राज्य कर रहे थे उसी
वक्त इङ्गलैंडमें पहले जेम्स (James अंग्रेजोंका आगमन । the I) का राज्य था और भारतसे
__व्यापार करनेके लिये ईस्ट इंडिया कम्पनी बन चुकी थी। कप्तान हेकटर विलियम होकिन्स एक व्यापारी जहाजको लेकर इस कम्पनीकी तरफसे हिन्दुस्तानमें आये और ता० २० अगस्त १६०८ को पहिले पहिल सुरतमें आ लंगर डाला। और बादशाह जेम्सका पत्र ले अंग्रेज लोग देहली दर्बारमें पहुंचे। परंतु उस समय फिरंगियों अर्थात् पुर्तगालोंका अधिक जोर था। वे दूसरे किसीके भी जहाजको लूट लेते थे। वे अंग्रेजोंको नहीं चाहते थे। इन
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