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________________ ४०६ ] अध्याय दशवां । खास २ भाई आए थे। आरासे बाबू देवकुमार ऑनरेरी मजिस्ट्रेट व किरोड़ीचंदजी रईस, लखनऊ से बाबू अजितप्रसाद एम० ए० एल० एल० बी० वकील और बाबू शीतलप्रसाद, देहलीके लाला मोतीलाल, बरुवासागर के लाला मूलचंद रईस, झांसीके लाला गदूमलजी, आगरेसे लाला घनशामदासजी आये थे । सभामें शहर के दिग० व खे० भाइयों के सिवाय श्वेताम्बर यशोविशय पाठशाला के अध्यक्ष यति धर्मविजयजी, इन्द्रविजयजी व बौद्धोंके महाबोधि सोसायटीके आसि० सेक्रेटरी भी आये थे । बाबू नानकचंदजी बी० ए० हेड मास्टर सागर के पेश करने और बाबू देवकुमार के समर्थन से सेठ माणिकचंदजीने अपनी अयोग्यता प्रगट करते हुए सभापतिका आसन लेकर णमोकार मंत्र पढ़कर पाठशालाका परदा हटाया और अध्यापकों को पाठ पढ़ाने की आज्ञा दी । पाठ हो जानेपर पं० गणेशप्रसादजीने व्याख्यान दिया कि काशी ही संस्कृत व धार्मिक विद्या प्राप्तिका स्थान है। इसका अनुमोदन अजितप्रसादजी और नानकचंदजीने किया । फिर यति धर्मविजयजीने पाठशालाकी चिरस्थायिता चाहते हुए सेठजी भक्त, शूर और दानी हैं ऐसा सिद्ध किया। बाबू शीतलप्रसाइजीने नियमावली व प्रबन्धकारिणी सभाके नाम सुनाए । बाबा भागीरथजीने मूल फंड स्थापनकी प्रार्थना की । बौद्ध साधुने इंग्रजीमें हर्ष प्रगट किया । बाबू शीतलप्रसादजीने सर्वको धन्यवाद दिया । बाबू देवकुमारजीने शोलापुर से आया हुआ बम्बई दिगम्बर जैन प्रान्तिक सभाका सहानुभूति सूचक तार सुनाया । इन्हीं दिनों में सेठ मोतीचंद प्रेमचंद शोलापुरकी तरफ से बिम्बप्रतिष्ठाका उत्सव था तथा बम्बई प्रा० सभाका नैमित्तिक अधिवेशन जेठ सुदी ७ और ८ को www.jainelibrary.org Jain Education International For Personal & Private Use Only
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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