________________
३८४ ]
अध्याय नवां । जो इसको दासीके समान समझकर मोह नहीं करते सदा इससे अपने आत्माका काम लिया करते हैं वे इसके द्वारा महान पुण्य बांध परभवमें अटूट सम्पदाके स्वामी होते हैं अतएव लक्ष्मीको नित्य दान धर्ममें बहुत विचार पूर्वक खर्च करो, जैसे प्रसिद्ध सेठ माणिकचन्दजी अतिशय आवश्यक कामोंमें लगाकर इसकी सफलता करते रहते थे। उक्त सेठका जीवन भारतवर्षके धनपात्रोंके लिये अतिशय अनुकरणीय है। सेठनी सार्वजनिक संस्थाओंमें भी दान करते रहते थे जैसे बालाश्रम सूरत, अहमदावाद आदि ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org