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गुजरात देशके सूरत शहरका दिग्दर्शन । [ १५
बड़े २ विद्वानोंसे सुशोभित रह चुका है जिन्होंने अनेक शास्त्रोंकी टीका व रचना की है ।
इस धर्म - जन-भरपूर गुजरात देशमें ताप्ती नदी बड़े वेग से सतपुरा पर्वतकी इंजरडी पहाड़ीकी तलहटी से निकलकर खानदेशमें बहती हुई अनुमान ५०० मीलकी लंबाईको लिये हुए रांदेर और सूरत दो बड़े प्रसिद्ध नगरोंके मध्य में आध मील के अनुमान पाटके साथ खंभात की ओर चली जाती है ।
नर्मद्य गुजराती गद्यात्मक ग्रंथके कर्ता कवि नर्मदाशंकर लाभकर लिखते हैं कि श्रीमहावीर संवत् २७१ व सन् ईसवीके २५५ वर्ष पूर्व इस ताप्ती नदीके उस ओर रांदेर नामका एक बड़ा प्रसिद्ध नगर था । जिसपर संपत्ति नामका जैनी राजा राज्य करता था* वह रांदेर शहर अब भी मौजूद है पर अब वह एक छोटासा कसबा है । वर्तमान में ताप्तीके इस ओर रांदेरके ठीक सामने अतिविख्यात और ऐतिहासिक सूरत नगर मौजूद है । यद्यपि नर्मद्यके कर्ताने यह खुलासा नहीं किया कि जब एक ओर ताप्तीके आजसे २२०० वर्ष पहले एक बड़ा राज्यनगरे था तब उसीके ठीक सामने जहां आज सूरत पाया जाता है वहां उस समय किसी वस्तीकी सुरत थी कि नहीं ?
विचारने से यह अवश्य निश्चित होता है कि ताप्तीके इस पार भी कुछ वस्ती अवश्य वसती होगी। संभव है कि उस समय इसका नाम सूरत न हो ।
* इस कथनको नर्मगद्यके अनुसार ही यहां उल्लेख किया जाता है।
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