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________________ अध्याय नवां । २०५) मरण क्रियामें खर्च । २८५४) सम्बन्धियोंको बांटा जाय । कुल १२०४२) सेठ माणिकचंद पानाचंद, सेठ प्रेमचंद धरमचंद, सेठ हीराचंद नेमचंद शोलापुर, शाह भगवनदास कोदरजी तथा शाह लल्लूभाई लक्ष्मीचंद टूष्टी नियत हुए। श्रीमती मगनबाईके पतिके वियोगसे माता चतुरबाईके दिलको बड़ा भारी धक्का लगा। एक तो वह पहले ही श्री. चतुरबाईका बीमार रहती थी अब अधिक बीमार रहने परलोक गमन । लगी। जब जब यह मगनबाईजीको देखती इसके आंसू भर आते थे। दूसरा दुःख उसके दिल में पुत्रका जीवित न रहना था। इसको ३ पुत्र व ४ पु. त्रियोंका लाभ हुआ पर केवल ३ लड़किये ही जीवित रहीं, शेष सन्ताने केवल गर्भका भार देकर ही व कुछ दिन माताकी गोदको भरी हुई करके खाली कर गई । शरीरकी अस्वस्थता और मनकी दुर्बलता दोनोंने इसको ऐमा दबाया कि गु० मिती मगप्तर सुदी ८ सं० १९५७ रात्रिको इमको भरोसा हो गया कि अब मेरा जीवन नहीं रहेगा, मगनबाईको पास बिठा लिया। मगनबाईको अंतरंगमें बडा खेद हुआ। मेठनी भी आगए और एक दफे प्रेमदृष्टिसे देखकर बोले--तेरे स्मरणार्थ हम २०००)का दान करते हैं। इसकी दान सूची भी आप कहते गये और मगनबाईनी लिखवी गई। इस भांति दान किया १०००) बम्बईके हीराचंद गुमानजी जैन बोर्डिंगके विद्या Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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