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समाजकी सच्ची सेवा । [३२१ ऊपरके छात्र मेनेनिंग कमेटीकी रायसे भरती होते हैं।
(५) दिगम्बर जैनधर्मकी शिक्षा सर्वको लेनी होगी व वार्षिक परीक्षा देनी होगी।
(६) नित्य दर्शन पूजाके लिये एक दिगम्बर जैन चैत्यालय रहेगा।
(७) २३ कमरों में से ४ संस्कृत विद्यार्थियों रहने के लिये रहेंगे।
(८) जो ४००००)की मिलकियतका मकान है उसका खर्च इकर जो भाड़ा बचेगा उसमेंसे ५) रु. सैकड़ा अमानत खाते जमाकर ३००) रु० साल दिगम्बर जैन मंदिरके खर्चके लिये निकालकर बाकी गरीब छात्रों को छात्रवृत्ति देनेमें खर्च किया जायगा जिसमें ५०) सैकड़ा बोर्डिंगमें रहनेवाले छात्रों को, ४०) सैकड़ा परदेशमें पहनेवाले छात्रोंको और १०) सैकड़ा जैन धार्मिक शास्त्रोंको मुख्यतासे पढ़नेवालोंको दिया जाय।
ता० १७ जून सन् १९०० को ऊपरके ६ ट्रष्टियोंके सिवाय नीचे लिखे मेम्बर प्रबन्धकारिगीमें और शामिल किये गए--७ पं० गोपालदासजी बरैया, ८ सेठ गुरुमुखराय सुखानंद, ९ गांधी रामचंद नाथा, १० पंडित धनालाल काशलीवाल, ११ परीख चुन्नीलाल प्रेमानंद, १२ जौहरी चुन्नीलाल झवरचंद, १३ अण्णाप्पा फड्चाप्पा चौगुले बी. ए. एल. एल. बी.! इनमेंसे ट्रष्ट के इस नियमके अनुसार कि सेठोंके वंशमें जो बड़ा ट्रस्टी होगा सो सभापति रहेगा, जौहरी पानाचंद हीगचंद सभापति, खनाञ्ची झवेरी प्रेमचंद मोतीचंद सेक्रेटरी, हीराचंद नेमचंद आ० माजिष्टेट शोलापुर तथा ज्वाइन्ट सेक्रेटरी जौहरी चुन्नीलाल अवेरचंद नियत हुए।
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