SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८] अध्याय पहिला। तरह करते भी हैं पर उनमें भी इनकी शक्ति दृढ़रूप नहीं रहती। उन्मत्त पुरुषकी तरह एकको छोड़ दूसरेमें, दूसरेको छोड़ तीसरेमें घूमा करते हैं। ऐसे पुरुष प्रायः इस जगतमें भाररूप हैं। उत्तम पुरुष अपने कार्योंकी सिद्धि इन नीचे लिखे गुणोंके ही कारणसे कर सक्ते है:... (१) समयकी उपयोगिता-जो लोग अपने समयकी कदर नहीं जानते हैं वे अपने जीवनके मूल्यको नहीं पहचानते हैं। समयोंसे ही यह जीवन बना है। रत्नोंसे अधिक मूल्य हरएक समयका है। एक सेकन्ड या पलमें बेगिनती समय बीत जाते हैं। अपने समयोंकी कदर करना ही जीवनको उपयोगी बनानेका एक मुख्य साधन है। (२) नियमित कामकी विभाग शक्ति-मनुष्यमें शरीरके बलको व स्वास्थ्यको रक्षा करते हुए अपने कामोंको पूरा कर डालनेका अवसर उसी समय आता है जब वे भगवद्भक्ति, शरीर क्रिया, भोजन, शयन आदि नित्यके कामोंको नियमके अनुसार प्रतिदिन करते हैं। जो विना किसी नियमके चाहे-जब खाते, सोते, काम करते हैं उनके बहुतसे काम रह जाते हैं तथा कोई भी काम निराकुलतासे नहीं होता तथा प्रायः अनियमित काम करनेवालोंका शरीर अस्वस्थ रहता है । जो सूर्योदयसे पहले उठकर काममें लगते और रात्रिको ही थीरताके साथ छह सात आठ घंटे आराम करते हैं वे प्रायः नियमसे अपना काम कर सक्ते हैं । (३) दीर्घदर्शिता-मानवके कामोंकी सफलताके लिये उसमें दीर्घदर्शिताकी बहुत बड़ी ज़रूरत है ताकि वह अपने उस Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy