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________________ २१८ ] अध्याय सातवाँ । भाग पेशी गयो छे ते सुधारवो. तथा नातमा केटलाक वांधा तथा तड़ पड़ेला छे ते भेगा करवा तथा दापानो रिवाज काढी नाखवो अने बाललग्न थवा नई देवू जेमके पांच वरसनी कन्या अने पांच वरसनो वर येहवा रीतना लमो नहाणपणमा वेवाह करी मुके छे ते पछी आगल जता घणां बिगाड़ा थाय छे. वली वृद्ध उमरनाने पहसाना लोभथी कन्या आपे छे ने ते विचारी कन्याने बाल रंडापो आवे छे अने पछे आपना धर्म विरुद्ध चाले छे. वास्ते खरो सुधारो ए करवानो छे. वली गुजरातमां रडवा कूट. वानो पण घणो बिगाड़ो छे. ते विशे पण सुधारो करवो. वली जे गाममां आपणा जैन धरमी भाईनी वस्ती वधारे होय तहां जेन पाठशाला कढाववी अने तेनो लवाजम सरवेना माथे नाखवो एहवा प्रकारना सुधारा करवा माटे एक मंडली नेमवी अने तनू फंड चालू करवू एहवा कामोनो आरंभ तमोएज करवा मांडयो छे ते हमो घणा खुशी छईये अने अमारा लायक ए काममा काई काम बतावशो तो बनशे तेटली मेहनत करीशं. गेज कामकाज लखज्यो. जोइतूं करतूं मंगावज्यो. हमारूं ठेकाणुं मुंबइमा मंमादेवी आगल जवेरी माणेकचंद पानाचंदने पोचे ए प्रमाणे सरना करज्यो संवत् १९४१ जेष्ठ बीजा वद ९ सोमे लि० माणेकचंदना जुहार वांचज्यो. हमारे हिन्दीके पाठकगण ऊपरके पत्रका भावार्थ समझ गए होंगे तथापि जो जरूरी बातें हैं उनका भाव नीचे दिया जाता है: " आपने मासिक पुस्तक निकाली है यह बहुत ही उत्तम प्रयत्न शुरु किया है। आप एक फंड ऐसा निकालें Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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