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________________ २०४] अध्याय सातवा। अनशन लिया पर्यकासनसे समाधिस्थ हुए। तथा सार चतुष्टयका व्याख्यान नेमिचंद्र बांचते हैं और उनके शिष्य वालचंद्र सुनते हैं। दूसरी तरफ अभक्चंद्र बांचते है और बालचंद्र सुनते हैं ऐसे चित्र हैं और लेख है। चित्र केवल नग्न हैं। शांतिनाथ मंदिरमें मुनि प्रतिमाके नीचे लेख है " कुलभूषण सैद्धांतिक शिष्य माघनंदिके शिष्य शुभनंदिके शिष्य चारुकीर्ति पंडितदेव शाके १२०२ प्रमाधिनाम संवत्सरे कार्तिक वदी ९ शनिवार वालचंद्रके शिष्य अभयचंद्र समाधिस्थ हुए।" यहाँ दूसरी मुनि प्रतिमा है । उसके नीचे लेख है " शाके १२२२ शार्वरी संवत्सरे चैत्र वदी ३ गुरुवार रामचंद्र मलधारी समाधिस्थ हुए। यह बालचंद्र पंडितं देवके शिष्य थे। मुनि प्रतिमाके बाजूमें पीछी कमंडल है । पार्श्वनाथ मंदिरमें एक फूटा हुआ शिला लेख है जिसपर शक १३३२ है । आगे नहीं बंचा। यहाँ एक दूसरा शिला लेख है जिसपर शाका १५७० ईश्वर नाम संवत्सरे फाल्गुण शुद्ध ५ गुरुवार है। इस मंदिर में स्तंभ है जिसपर लिंगायत लोगोंने शिवलिंग स्थापन किया था उसको जैनियोंने निकाल डाला, दोनोंमें झगड़ा • हुआ जिसका फैसला वेलूरके कृष्णापा नाईक आयनवरू कलिकाल अष्टम चक्रवर्ती व्यंकटादि नायकने करके समाधान किया । यहाँसे १० मील वेलूर गाँव है। यहाँ जिनमंदिर नहीं है ' पर एक बड़ा विष्णु मंदिर है, उसके शिलालेखसे प्रगट होता है कि यह पहले जैन मंदिर था फिर विष्णु मंदिर किया गया है। वह लेख इस प्रकार है: Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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