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लक्ष्मीका उपयोग ।
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सर्व संघ सकुशल श्री जैन ब्रद्री पहुंचा । मैसूर राज्यमें श्रवण बेलगोला नामका नगर मैसूर स्टेशनसे ५५ मील व फ्रेंचरांक स्टेशनसे ३० मीलके अनुमान है । वर्तमानमें लोग बम्बईसे हुबली होकर आरसीकेरी स्टेशनसे जाते हैं यहांसे भी ३० मील है । यहाँ गोमहस्वामी की बृहत मूर्ति है जो १ मील दूरसे अपने भव्य दर्शन प्रदान करती है। उस समयकी कुछ व्यवस्था जो थी वह यहाँ " जैनबोधक " अंक ४ पुस्तक १ दिसम्बर सन् १८८५ के अनुसार लिखी जाती है जिस यात्राका वर्णन उस पत्रके सम्पादक सेठ हीराचंदने स्वयं सम्वत १९४१ में यात्रा करके लिखा है- “ बेलगोला ग्राम में ८ दि० जिनमंदिर हैं जिनमें पट्टाचार्यका मंदिर दुरुस्त है शेष नहीं । मंदिरों में घास बढ़ गई है, मंडप में पक्षियोंके घर हैं जिससे दुर्गंध आती है । यहाँ दो पहाड़ एक दूसरेके सन्मुख हैं, एक बड़ा जिसको धोडपेटा दूसरा छोटा जिसको चिकपेटा कहते हैं । बड़ेपर ८ व छोटेपर १४ दि० जैन मंदिर है । व्यवस्था पट्टाचार्य के आधीन है । कई मंदिरोंके दरवाजे नहीं है जिससे पशु पक्षी उपसर्ग करते हैं । यहाँसे १ मील दूर जिननाथपुर एक ग्राम है, यहाँ दो प्राचीन मंदिर हैं । एक प्रतिमा नहीं है, दूसरे में श्री शांतिनाथस्वामीकी बहुत प्राचीन प्रतिमा है जिसकी पीठपर लिखा है कि यह मंदिर कोल्हापुर के भीमसेन सेनापतिने बनवाया । इस मंदिरका कुछ भाग गिर गया है सो गांवका पटेल जैनी न होनेपर भी मंदिर की दुरुस्तीका प्रयत्न करता है। सेठ हीराचंद नेमचंद लिखते हैं कि हमारे साथवालोंने १००) व बेलगुलगांववालोंने २०० ) इस प्रकार २०० ) इसकी दुरुस्तीके लिये ब्रह्मसूरि शास्त्रीको दिये तथा
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