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________________ ( ७२ ) इसीलिए इस अवसर व्यक्ति आत्मशक्तिको विकसित करके वीतराग विज्ञानताकी आराधना करने में लीन हो जाता है। इसी प्रकार सभी पोंको बड़े वैज्ञानिक ढंगमे विवेचना की गई है। बाहुबली गोम्मटेश्वर ___ यह वीस पृष्ठकी लिखी छोटीसी पुस्तक है। इसमें साहित्यक भाषामें बाहुबली गोम्मटेश्वरका ऐतिहासिक वर्णन किया गया है। बाहुबलीका परिचय, उनका भरतसे मम्बन्ध, श्रवणबेलगोलकी बाहुबलि मूर्ति, आदि अनेक प्रसंगों पर प्रकाश डाला है। बाहुबलीकी ५७ फीट ऊंची विशाल मूर्ति है जो विध्यगिरि के शिखरपर शताब्दियोसे खड़ी है। यह मूर्ति केवल आश्चर्यकी वस्तु नहीं है इससे महात्मा गांधोने बहुत कुछ सीखा था। बाबूजीने लिखा है " सत्य और अहिंसा-शिवं और सुन्दरंका यह जीवित विग्रह है जो इससे खिलवाड़ करेगा-सत्य और अहिंसाके प्रेरणा स्रोतकी पवित्रताको भंग करेगा वह सफल मनोरथ नहीं बल्कि लोकके लिये अकल्याणकारी अनिष्ट सिद्ध होगा।" मूर्ति तक पहुंचने विभिन्न सीढ़ियां और द्वागेको पार कर. नेका सारा वर्णन बताया गया है। मूर्ति इतनी प्रेरणादायक है कि उसमें सत्यं शिवं सुन्दरम्के स्वरूपको देखते ही बनता है, उनकी पूजा करके दर्शनार्थी तथा पूजा करनेवाले भक्तगण अपना जीवन धन्य ही मानते हैं। दर्शनों की सार्थकता भावनाको प्रथानतापर निर्भर है। जीवहत्या, नशा न करने, स्वयं जीने तथा दूसरोंके जीवित रहने देने, सदा सच और मधुर बोलने. मानवी कर्तव्योंका पालन करने, रिश्वत और कालेबाजारसे बचने, इन्द्रिय निग्रह करने, फैशनी वस्तुपर धन बरबाद न करने और बचे हुवे धनको पुन्य परोपकार तथा दानमें लगानेकी भावनाबोंसे ओत प्रोत हुदबसे भगवान बाहुलिके चरणों में श्रद्धाके पुष्प चढानेवाले ही दर्शनों की सार्थकता मान सकते हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003978
Book TitleKamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnarayan Saxena
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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