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काकंदीपुरका देव इस छोटासा ९ पृष्ठका ट्रेक्ट सन् १९५२ में प्रकाशित हुआ। नुनखार रेलवे स्टेशनसे दक्षिण पश्चिमकी ओर दो मील दूर खुखुन्दू नामक प्राम है जो पुरानी काकन्दी अथवा किष्किन्धा नगरीके नामसे जानी जाती है। काकन्दीकी स्थापना, नगरके राजा, मसान, पुष्पदंत, और उनको विभिन्न शिक्षाएं बताई हैं। मानवको सुखी बनानेवाली बिभिन्न शिक्षाएं प्रेम, सत्य, ब्रह्मचर्य, और कम इच्छा रखने, जैसी बताई गई हैं। जो टीले यहां हैं वह जैन मन्दिरोंके मालम पड़ते हैं और विभिन्न मूर्तियां भी हैं। वहां लगभग तीस टीले हैं जो इतिहासके खजाने जान पड़ते हैं। यह प्रमुख तीर्यस्थल है।
दिव्य दर्शन यह १३ पृष्ठोय छोटासा ट्रेक्ट सन् १९५३ में प्रकाशित हुआ। यह एकांकी लघु नाटक है, जिसमें सूत्रधार और उसकी पत्नी नालन्दाके दो बटोहो, नरेश और क्षुल्लक पात्र हैं। इसमें भगवान महाबीरके निर्वाण कल्याणक उत्सव का वर्णन किया गया है । सत्य, अहिंसा, धर्म और महावीर के ऊपर पात्रोंसे विभिन्न बातें कहलाई गई हैं। क्षु० संसार में प्रेमका बातावरण फैलानेके लिये प्रतिज्ञा करते हुये कहते हैं-"वैरसे विरोध, वैषम्य बढ़ता है। प्रेमसे प्रेमकी वृद्धि होती है, प्रेम-लोकमें आत्माका अभ्युदय होता है, बात्मा चमकती है, अतः आओ विश्व प्रेम प्रसारित करने की प्रतिज्ञा करें।"
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