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________________ (६८) लिखित जोड़ दिया गया है, इस परिशिष्ट में कुछ क्षेत्र स्थानोंका ऐतिहासिक परिचय दिया है। आगरा, अजमेर, गिरिनार, अतिशयक्षेत्र खजुराहा, देवगढ़, जयपुर, राजगिर, सम्मेद शिखर, ऋषभदेव, तारापुर, ग्वालियर और चन्द्रवाड प्रमुख प्रसिद्ध क्षेत्र हैं । कम्पिला - कीर्ति ५६ पृष्ठीय " कम्पिला - कीर्ति नामक पुस्तक सन् १९५२ में प्रकाशित हुई। फर्रुखाबाद जिले ( उत्तर प्रदेश ) में कम्पिला नामक एक ग्राम है। इसे पंचाल देशकी राजधानी बताया जाता है । पुरातनचारसे यह जैन और हिन्दुओंका ऐतिहासिक और तीर्थस्थल रहा है | भगवान विमलनाथका जन्म भी यहीं हुआ था । पुस्तक के नाम से ही यह विदित होता है कि कम्पिल तीर्थकी गौरव गाथा से इसके पन्ने भरे पड़े हैं। सुबझी, सरिस, परिमार्जित हिन्दी की लड़ियां ऐसी लगती हैं मानों हृदयको कागज और आत्माको स्वाही मानकर अंकित की गई हों ! हिन्दीकी एक छटा आप भी देख लीजिए । गंगा आज उसको थपकियां देकर सुख निन्द्राका अनुभव नहीं कराती । वह अधुना कम्पिलासे मानों रूठकर उससे दूर हट गई है— गंगाकी बार अब यहांसे डेढ़ मील दूर है। किन्तु पुरातनकाल में जब कम्पिला समृद्धिशाली था - बाह्य ऐश्वर्य में ही नहीं; बल्कि सांस्कृतिक श्री वृद्धि में थी, तब गंगाकी पवित्र धारा उसके पैर चूमती थी । " कम्पिलाका ऐतिहासिक गौरव, विभिन्न कवि और धर्मग्रन्थों में उल्लेख, महान तीर्थ, धर्म प्रभावनाका शांतिनिकेतन, समान सुधार की संकेत भूमि, ऐश्वर्यका शीर्ष बताते हुवे अन्त में बर्तमान रूपको प्रकट किया हैं । लेखकने छोटीसी पुस्तक में शासकीय और For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003978
Book TitleKamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnarayan Saxena
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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