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सामप्रोकी तीर्थों द्वारा उपलब्धि और तीर्थोंकी पवित्रताके कारणोंका स्पष्टीकरण इस पुस्तकमें देखनेको मिलता है।
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देशके सम्पूर्ण तीर्थोंकी जानकारी इस पुस्तकमें करा देना हर किसी लेखकके बराकी बात भो न थी। कौनसा तीर्थ किस प्रान्त में है, जिला, तहसील डाकघर आदिका वर्णन, सड़क, या रेलवे स्टेशनसे दूरी तकका उल्लेख किया है। पूरी सूची दो गई है। संक्षेप में यही बात कही जा सकती है कि अशिक्षित और अज्ञानी व्यक्ति तक इस पुस्तकके मार्गदर्शन से भ्रमण करने में सफल हो सकते हैं । कोई तीर्थ क्यों प्रसिद्ध है, वहां पर किन तीर्थकरों का सम्बन्ध रहा है, कौन से मन्दिर अथवा दर्शनीय स्थल हैं, उन मन्दिरों में किन देवताओं की प्रतिमाएं हैं ? और कहां ठहरे, किस तरह जावें, सभी छोटी छोटी बातें बताई गई हैं। एक बात और भी विशेष है कि सभी तीर्थो का क्रमशः विवरण भी दिया गया है ताकि एक तीर्थ यात्राके बाद पासवाले दूसरे तीर्थमें जाया जा सके। कमसे कम समय, श्रम, और पैसे में अधिक तम लाभ उठाने की ओर ध्यान दिया गया है। जो क्रम तीर्थयात्रा के लिये अपनाया गया है, वह एक सुन्दर योजना हम आपके सामने उदाहरण के लिए लिये प्रस्तुत करते हैं जिससे आप यह समझ जावेंगे कि यात्राको कितना सुगम बनानेका प्रयास किया गया है। आप इलाहाबादसे तीर्थयात्रा के लिये कौशाम्बी ( कौसम ) गये दो आप बहाँ क्या देखेंगे ?
प्राचीन कौशाम्बी नगर पफोबाजी से ४ मीठ । है यहां पर पद्मप्रभु भगवानके गर्भ - जन्म - तप और ज्ञान कल्याणक हुये थे । यहांका उदायन राजा प्रसिद्ध था। जिसके समयमें यहां जैन धर्म उन्नतशील था । कोसमकी खुदाई में प्राचीन जैन मूर्तियां मिली | गडबाहा ग्राम में मन्दिरजी और प्रतिमाजी बहुत मनोह हैं। यहांसे बापस इलाहाबाद पहुंचकर लखनऊ- जावे ।
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