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________________ (५२) उन सबके उत्तर इस पुस्तकमें मिल जाते हैं। भगवान ऋषभदेवके अतिरिक्त अन्य सभी तीर्थंकरोंका संक्षिप्त जीवन भी पढ़नेको मिलता है। उनके जन्मस्थान, परिवारिक परिचय, समाजमें स्थान और साधनात्मक तक परिचय भी साथ ही दिया गया है। ___ जैनधर्मके सातों तत्त्वों जीव, अजीव, आश्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा, और मोक्षका विस्तृत वर्णन किया गया है। आवागमनके छुटकारेके कौनसे साधन हैं ? आवागमन में देव, नरक, मनुष्य और तियचति होती हैं उनका सम्बन्ध भी स्थापित किया है। भगवान ऋषभ द्वारा विरक्त नरनारियोंके लिये जो साधु संघकी व्यवस्था की थी उसमें चार संघ रखे अर्थात् मुनि संघ, आर्यिका संघ, श्रावक संघ और श्राविका संघ । इन संघोंकी आवश्यकता तथा सिद्धान्त व नियमों का वर्णन भी किया गया है। जैन इतिहास इस पुस्तकके १०० पृष्ठ के लगभग रिप्रिन्टम ही देखनेको मिल सके, इसमें इतिहासकी आवश्यकता, आधुनिक इतिहासकारोंकी दृष्टिमें जैनधर्म और जैन परंपराकी प्रमाणिकताके सम्बन्धमें सैंकडों ग्रन्थोंके स्वाध्यायका सार देखने को मिलता है। कृषिकालको कर्मभूमिका प्रारम्भ बताते हुये समाजवादी रीतिके संस्थापक भ० वृषभदेवको कृषि विज्ञानके आविष्कर्ताके रूपमें समाजके सामने रखा है। ये आत्मज्ञान प्रणेता प्रथम योगी तथा सर्वज्ञ सर्वदर्शी परमात्मा हे रहैं, इसलिये उनके उपदेश, बिहार, निर्वाण, स्मारक प्रतीक आदि सभीका विस्तृत वर्णन किया है। शिवरात्रिको भगवान वृषभदेवके निर्वाणका प्रतीक माना है। जिनसेनाचार्यने तो उन्हें शिवरूप में मानकर ही स्तुति की है : त्वं ब्रह्मा परम ज्योतिस्तवं प्रभूष्णु रजोऽरजाः । स्वमादिदेवो देनानाम् अधिदेवो महेश्वरः॥ वृष है। ये आत्मज्ञालये उनके उपदेश, है । शिवरा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003978
Book TitleKamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnarayan Saxena
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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