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(३९) समय सभी नग्न रहते हैं, यह प्रारम्भिक स्थिति मानवकी आदर्श
और परमहंस स्थिति है। वास्तविक जीवन जीने की कला यदि किमीको आती है तो वे दिगम्बर मुनि ही हैं। जिसकी दिशाएं ही स्वयं अम्बर वन होती हैं वही तो दिगम्बर मुनि कहलाते हैं । इस प्रकार दिगम्बर शब्दकी व्याख्या, और परिभाषा तो प्रारंभमें ही कर दी गई है। अपरिग्रही जीवन ही सबसे बड़ा जीवन माना जाता है जिसके दर्शन इन मुनियों में सबको मिलते हैं। सच्चे साधू के विषयमें बाबूजीने कहा है-"दिगम्बर रूप सरलताकी पराकाष्ठा है। उसमें दिखावट नामको नहीं है। जो कुछ है सो वास्तविक-निखर सत्य ! और एक साधुको बिल्कुल सच्चा होना ही चाहिये । भीतर बाहर जब यह एकसा होगा तब ही वह साधु एकसा हो सकता है." ___ मुनियोंके वस्त्रहीन रहने की आवश्यकता पर बल देते हुये लन्दनके अजायबर घरमें खुले आम युवतियों को नंगे चित्र खोंचने, माताकी गोदी में बालकका नंगा पड़ा रहने, निर्वाणकी प्राप्ति करने श्रीमद्भागवत (स्कन्ध ५ अध्याय ५) में ऋषभदेवको केश खोल उन्मत्तकी भांति नग्न होने, हिन्दुओंके कापालिका नागा साधु भृतहरिके 'वैराग्य शतक में 'दशो दिशाएं जिनके बल हैं' को धन्य मानने, प्राचीन भारत के आजीविक सम्प्रदायके साधुओंको नग्न रहने, बौद्धोंमें नंगे साधु होने, अधीसिनिया और वैक्ट्रियामें नंगे साधु मिलने, मिश्र और यूनानमें नंगी मूर्तियां मिलने, मुहम्मद साहबसे पूर्व काबाकी नंगे प्रदक्षिणा करने, ईसाई धर्ममें प्रभु द्वारा अभोजके लड़केको नंगे रहनेका आदेश देने, मिश्रदेशकी सुन्दरी सेंट मेरीके नंगे रहने और यहूदी धर्म ग्रंथों
आदिकी अनेक तर्क संगत विवेचनाएं भ्रम निवारणके लिये रखी हैं।
मौर्य साम्राज्य, सिकन्दर महान, यवन राजा, नन्दराजा,
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