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________________ ( ३६ ) रत्नत्रय कुँज भाषण २८ नवम्बर ५६ पृष्ठकी यह पुस्तक सन् १९३० में प्रकाशित हुई। इसमें विद्यावारिधि जैन दर्शन दिवाकर बाबू चम्पतरायजी जैन बैरिस्टर एटors विदेशों में दिये गये तीन अंग्रेजी व्याख्यानोंका हिन्दी में अनुवाद किया गया है । प्रथम सन् १९२६ को पेरिस में "जैनधर्म के चारित्र - नियम", दूसरा फ्रांस में २६ दिसम्बर सन् १९२६ को " जैनधर्म और उसकी अशांति भेटने की शक्ति", तीसरा दि० ६ जनवरी १९२७ में इटली में "धर्म और तुलनात्मक धर्म" पर दिया गया था। ये व्याख्यान बड़े महत्वपूर्ण हैं, इसीलिए बाबूजीने हिन्दी में अनुवाद कर सर्व साधारण के लिये उपयोगी बनानेका प्रयास किया है 1 वैज्ञानिक और वास्तविक तथ्योंपर जैन धर्मका आधारित होना, सम्यकूचारित्रके वे व्यवहार सिद्ध नियम, निरामिष भोजन की विशेषता, तीर्थंकरोंकी ऐतिहासिकता, तीर्थंकर शब्दका भाव, आत्माकी अमरता, और प्रेम तथा अहिंसा सिद्धांत की व्यापकता पर काफी जोर दिया गया है। बाइबिल, हिन्दू ग्रन्थ, तथा अनेक विदेशी विद्वानोंके विचारोंको भी व्यक्त किया गया है। जैन वीरोंका इतिहास " जेन बीरोंका इतिहास " नामक यह पुस्तक ८६ पृष्ठकी है, जिसे बाबू कामताप्रसाद जैनने लिखा और अप्रैल १९३१ में प्रकाशित हुई। जैन इतिहासकी अनेक पुस्तकोंसे लोग वंचित हैं, उन्हें पढ़ने-देखने तथा समझने तकका ढोग प्रयास नहीं करना चाहते। ऐसे प्रमाणिक इतिहासोंके प्राप्त हुए बिना जैन बीरोंके बारे में कुछ भी दिखना कष्ट साध्य और कठिन ही सिद्ध होता है । फिर भी अपने अध्ययन और अनुसंधानके बलबूते पर जो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003978
Book TitleKamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnarayan Saxena
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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