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________________ ( २९) पढ़कर प्रत्येक पाठक और बालिकाके मनमें आदर्श जीवन व्यतीत करने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है। ब्रह्मचर्यपूर्वक रहने तथा विवाह देर से करनेकी शिक्षा जम्बूकुमारके जीवन वृतान्तसे इस प्रकार मिलती है___"बालको ! तुम भी जम्बूकुमारके जीवनसे कुछ शिक्षा ग्रहण करो। प्रतिज्ञा करलो कि जब तक तुम खूब पढ़-लिखकर होशियार न हो जाओ, विवाह नहीं करोगे। पढ़ते हुये तुम पूरे ब्रह्मचर्यसे रहोगे और व्यायाम करके शरीरको पुष्ट रक्खोगे। यदि तुम जम्बूकुमारके समान बीर सैनिक बनोगे तो अपने देशकी सच्ची सेवा कर सकोगे तथा लोकका और खुद अपना आत्मकल्याण कर पाओगे। भावना करो, तुममें से प्रत्येक जम्बू कुमार हो और मावापका मुख उज्ज्वल करो।" सत्य-मार्ग जुलाई सन् १९२६में प्रकाशित ४४० पृष्ठकी यह 'सत्य मार्ग' नामक पुस्तक बाबूजी द्वारा लिखित है। इसमें हिंदी, अंग्रेजी व उर्दू के लगभग ४१ ग्रन्थोंके स्वाध्यायका निचोड़ है। यह ४१ प्रन्थ सहायक हैं जिनकी सूची भी पुस्तकमें दी हुई है। जन्म लेनेवाला प्रत्येक जीव सुख शान्ति चाहता है पर प्रयत्न करनेके बाद भी वह प्राप्त नहीं कर पाता। संसारके लोग झूठे मार्गको सच्चा मार्ग समझते रहते हैं और असत्य सुखको ही सच्चा सुख समझ कर जीवनके अमूल्य क्षण नष्ट किया करते हैं। इस पुस्तकमें सच्चे सुखको प्राप्त करनेका मचा मार्ग बताया गया है। ताकि प्रत्येक प्राणी भूल भुलयोंमें न पड़कर अपना जीवन पूर्ण रूपसे सफल बना सके। अनेक लोग इन्द्रिय लिप्सा, धनोपार्जन तथा अन्य सांसारिक वैभवोंको सुख समझते हैं पर वे शायद अपने जीवनको सबसे बड़ी मूठ करते हैं। सवा सुख कहीं बाहर की Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003978
Book TitleKamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnarayan Saxena
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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