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________________ (२८) परिवार के लोगोंका कर्तव्य विधवा जी के प्रति क्या है ? बधुओंको अपना गृहस्थ जीवन किस तरह पूर्ण करना चाहिए ? विवाहकी रूपरेखा क्या हो ? कितना व्यय किया जावे ? फैशनसे कौनसी हानियां है ? और बालं तथा वृद्ध विवाहोंका अन्त महिलाओंके द्वारा कैसे हो सकता है ? आदि आदि अनेक तत्कालीन समस्या, कुरीतियों, और कुसंस्कारोंसे छुटकारा प्राप्त कराने के सम्बन्ध में शिक्षा दी गई है, और उपाय सुझाये गये हैं। यदि हम चाहे तो महारानी चेलनीके जीबनसे बहुत कुछ सीख. कर अपने जीवन में गुणोंका समावेश करा सकते हैं। " उनका जीवन परम आदर्शरूप है, परन्तु उससे शिक्षा ग्रहण करना अथवा न करना हमारे आधीन है। लेकिन जो सुवको खोज में हैं वे अवश्य ही उनके दिव्य चरित्रसे शिक्षा ग्रहण कर अपने जीवन को सफल बनायेंगे क्योंकि महापुरुष जिम पथका अनुपरण करते हैं वही ग्राहनीय होता है-'महाजना: येन गताः सः पंथ: " बाल-चरितावली यह बालोपयोगी २० पृष्ठकी पुस्तक शिक्षाप्रद तथा सरल भाषा की है। जिसमें ७ कहानियाँ महावीर वर्धमान, जम्बूकुमार, श्री भद्रबाहु, धीर-वीर चन्द्रगुप्त, ऐल खारवेल, निकलंक और पार्श्वनाथकी हैं। बच्चे इसे मनोरंजनके लिए पढ़ सकते हैं और बहुत कुछ भावी जोवन के लिए सीख सकते हैं। बच्चे भावी जीवनके निर्माता हैं, वे ही आगे चलकर देशके कर्णधार और महान आत्माके रूपमें हमारे सामने आते हैं। इसलिये प्रारंभमें ही उनका जैसा जीवन बना दिया जाता है वैसा ही आगे चलता रहता है । सादा जीवन, प्रेम, वीरता, आज्ञापालन. अनुशासन, संयम, चारित्र निर्माण, परमार्थ, बाल विवाह न करने, और अात्मकल्याण जैसे अनेक विषयों को शिक्षा कहानियां तथा महापुरुषोंक जोबनसे सम्बन्धित कर बताई गई हैं, जिन्हें Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003978
Book TitleKamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnarayan Saxena
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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