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(२३) हिन्दी क्षेत्रोंमें खूप लोकप्रिय रही है। 'अंग्रेजी' की पत्रिकाके सैकड़ों अंक तो इंगलैण्ड, जापान, जर्मनी, अमेरिका, और कैनाडा जैसे देशों को जाते थे। बाबूजीकी 'सम्पादनकला ' से ही प्रभावित होकर आहसा वाणा और 'बॉइस ऑफ अहिंसा' को पाठक बड़े चावसे पढ़ते थे। अधिकसे अधिक लेखकोंके लेखों.
और कविताओंको अन्त समय तक स्थान देते रहे, अपना सम्पादकीय प्रभावशाली छोटा लेख लिखकर ही कर्तव्यको पूर्ण करते रहे।
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