________________
(१९) समितिके मन्त्री रहे। डॉ. राजेन्द्रप्रसाद भूतपूर्व राष्ट्रपतिने जब 'विदेशी शाकाहारी प्रतिनिधियों के स्वागतार्थ प्रीतिभोजका बायोजन किया उसमें आपको भी सादर आमंत्रित किया गया था।
राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन्से भी कई बार अहिंसा, धर्म तथा दार्शनिक अनेक विषयों पर चर्चा कर चुके हैं। सन् १९५५ में अहमदाबादमें आयोजित ओरेंटियल कान्फ्रेंस में जैनधर्म और प्राकृतिक विभागके अध्यक्ष बननेका शुभ अवसर प्राप्त हुआ। कितने ही वर्ष तक दि० जैन परिषद देहलीके वे उ० प्र० के मंत्री भी रहें।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org