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"उनकी अमूल्य रचनाओं द्वारा जैन साहित्यका मस्तक गवैखे उन्नत है। साहित्य, इतिहास और संस्कृतिके क्षेत्र में प्रस्तुत किये गये बाबूजी के अबदानों को जैन समाज कभी नहीं मुला सकेगा । उनका शान्त गंभीर एवं निस्वार्थ व्यक्तित्व कभी नहीं भुलाया जा सकता है। बबूजीके कृतित्व और व्यक्तित्वको पाकर जैन समाज और जैन साहित्य बहुत ही समृद्ध हुआ है। वास्तव में ऐसी महान आत्माएं किसी समाज विशेष के पुण्यसे ही अवतरित होती हैं।"
एच० डी० जैन कालेज, आरा (मगध विश्वविद्यालय)
नेमीचंद्र शास्त्री
एम. ए. पी एच. डी. संस्कृत प्राकृत विभागाध्यक्ष
" उनके समान सुजन निस्पृह विद्वानका मिलना अत्यन्त
कठिन है। पिछले बोस वर्षो से मेरा उनके साथ साहित्यक ही नहीं आत्मीय संबंध रहा । साहित्य और समाज के प्रति उनकी बहुमुखी सेवाओंका आकलन सहज नहीं है । ऐसे उदार चेता मनोषी अत्यन्त दुर्लभ है । सागर विश्व विद्यालय
श्री कृष्णदत्त बाजपेयी Ancient इतिहास
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जिस विभूति पर हम गर्व करते हैं आज केवल उनका नाम ही नि:शेष है। यह क्षति सांस्कृतिक क्षेत्र में वही स्थान रखती है । जो नेहरूजी की क्षति राजनैतिक क्षेत्र में "
ज्ञानपुर ( उ० प्र० )
डॉ० प्रद्युम्न कुमार जैन
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"मैं कितना बदकिस्मत हूं कि मैं अपने आदरणीय पंडितजी के दर्शन भी न कर सका जिन्होंने मेरे विदेश जाने पर मुझे अलीगंज विश्व जैनका प्रतिनिधि नियुक्ति करते हुये बां
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